कोटा दशहरा 2022: धू धू कर जला रावण का कुनबा, पल भर में राख हुआ अहंकार

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नाभि के अमृत कलश में तीर चलाकर किया वध, परंपरागत रीति रिवाज से किया रावण दहन

कोटा। नगर निगम कोटा उत्तर- दक्षिण की ओर से आयोजित राष्ट्रीय मेला दशहरा 2022 के तहत रावण के कुनबे का बुधवार रात को परंपरागत तरीके से दहन हुआ। भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर सहित कोटा रियासत के पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने पूजा-अर्चना के बाद रावण की नाभी के अमृत कलश को तीर से भेदा। इसके बाद देखते ही देखते अहंकारी रावण का कुनबा भस्म होता चला गया।

दो साल बाद रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। आतिशी धमाकों के साथ रावण का कुनबा खाक हो धराशाही हो गया। विजयश्री रंगमंच पर करीब पौन घंटे रंगीन आतिशबाजी हुई। लोगों ने इन यादगार पलों को कैमरों में भी कैद किया। सुबह से सूर्य देव तमतमाने लगे तो तेज धूप हो गई। दिनभर तेज धूप में रावण कुनबा मैदान में डटा रहा। शाम होते होते सूर्य देव भी बादलों की ओट में जा छिपे। 75 फीट रावण व 50-50 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाए व खूब अट्टहास किया।

गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी दशहरा मैदान पहुंची। वहां पूर्व महाराव इज्येराज सिंह ने सीता माता के पाने ज्वारे की पूजा की। रावण के अमृत कलश पर तीर चलाया। पूर्व महाराज इज्यराज सिंह के अमृत कलश फोड़ने के साथ ही 8.10 बजे रावण दहन शुरू हुआ।

उसके बाद एक-एक करके पुतलों का दहन किया गया। रावण का कुनबा कुल 20 मिनट में जलकर खाक हो गया। पुतलों में आग लगते ही दहन स्थल पर मौजूद हर शख्स के हाथ में मोबाइल कैमरे जगमगा उठे। सबसे पहले कुंभकर्ण के पुतले को आग लगाई गई। उसके बाद मेघनाद के पुतले को आग लगाई। अंत में रावण का पुतले को आग लगाई गई।

इस बार ग्रीन आतिशबाजी के रंगीन नजारों के साथ अहंकारी रावण का कुनबे सहित दहन हुआ। दहन के दौरान दर्शकों को किसी तरह से कोई व्यवधान न पहुंचे इसके लिए रावण कुनबे के आसपास बेरिकेट्स लगाए। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त रहे। आतिशबाजी भी रिमोट से नियंत्रित करते हुए चलाई गई। जिससे दर्शकों का रोमांच सातवें आसमान पर पहुँच गया।

20 मिनट लगे रावण का कुनबा जलने में: पिछले सालों की तुलना में इस साल रावण दहन कार्यक्रम में दर्शक ज्यादा रोमांचित हुए। हर साल 2 से 4 मिनट में जलकर खत्म हो जाने वाले रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद के पुतलों ने इस साल जलने में 20 मिनट का समय लिया। इस बार तीनों पुतलों के दहन के साथ ही आतिशबाजी भी की गई। जबकि पिछले सालों में केवल रावण के पुतले को जलाने के साथ ही आतिशबाजी होती थी। दहन के बाद होने वाली आतिशबाजी ने भी काफी देर तक दर्शकों को बांधे रखा।