नई दिल्ली। Income Tax Return: सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 31 दिसंबर 2021 कर दी है। भले ही आईटीआर फाइल करने के लिए और वक्त मिल गया हो लेकिन समझदारी इसी में है कि आखिरी पल के लिए टास्क को टाला न जाए। विस्तार आपको अपने कर मामलों को व्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त समय देता है।
जो करदाता खुद से रिटर्न फाइल करते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि अन्य स्रोतों से होने वाली आय को टैक्स रिटर्न में कैसे दर्ज किया जाना चाहिए। आईटीआर में कुछ इनकम का खुलासा करना बेहद जरूरी है। उदाहरण के तौर पर ब्याज आय। अगर आप सैलरी से अलग, अन्य स्त्रोतों से होने वाली आय का खुलासा आईटीआर में नहीं करते हैं तो परेशानी में पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं कौन सी आय का खुलासा आईटीआर में करना जरूरी है…
कैपिटल गेन्स से आय
हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में लोगों ने म्यूचुअल फंड और स्टॉक में निवेश किया है। इनसे कैपिटल गेन्स अब बेहद आम बात हो गई है। अब इक्विटी म्युचुअल फंड और शेयरों से 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर भी कर लगता है, जिसका अर्थ है कि बहुत अधिक करदाता इसके दायरे में हैं। करदाताओं को सभी कैपिटल गेन्स के बारे में आईटीआर में खुलासा करना चाहिए। एक नए नियम के तहत जिस करदाता को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ है, उसे रिटर्न में शेयरों, खरीद मूल्य, बिक्री मूल्य और लेनदेन की तारीखों की डिटेल भरनी होगी। शॉर्ट टर्म गेन की रिपोर्ट करते समय ट्रांजेक्शन की स्क्रिप-वाइज डिटेल्स का जिक्र करने की जरूरत नहीं है। Zerodha, ICICI Direct, Upstox और Groww जैसे स्टॉकब्रोकर्स और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स से कैपिटल गेन्स स्टेटमेंट्स को भी पोर्टल पर अपलोड किया जा सकता है।
ब्याज से आय
बैंक जमा, बॉन्ड और कुछ छोटी बचत योजनाओं पर अर्जित ब्याज पूरी तरह से कर योग्य है, लेकिन कई करदाता इसे अनदेखा कर देते हैं। बचत बैंक बैलेंस पर ब्याज को भी टैक्स रिटर्न में “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में सूचित किया जाना चाहिए। हालांकि एक सीम तक ब्याज आय को टैक्स से छूट प्राप्त है। ध्यान रखें कि न केवल बैंक जमा, बल्कि डाकघर योजनाओं में भी निवेश के लिए अब आपके पैन की आवश्यकता होती है, और अर्जित ब्याज की जानकारी अंततः विभाग तक पहुंच जाती है।
कुछ करदाता यह भी मानते हैं कि यदि उनके बैंक ने ब्याज पर टीडीएस काट लिया है तो कोई कर देय नहीं है। यह एक गलत धारणा है। टीडीएस ब्याज का केवल 10% है (यदि पैन नहीं दिया गया है तो 20%)। यदि कोई करदाता उच्च कर स्लैब में है, तो उसे ब्याज पर अतिरिक्त कर का भुगतान करना होगा। फॉर्म 26AS में वित्तीय वर्ष के लिए अपनी ब्याज आय की जांच करें। इसमें ब्याज भुगतान से काटे गए टीडीएस का ब्योरा होगा। आपके टैक्स रिटर्न में घोषित आय, फॉर्म 26AS में दी गई जानकारी से मेल खानी चाहिए अन्यथा टैक्स नोटिस के लिए तैयार रहें।
अपने टैक्स रिटर्न में टैक्स-फ्री बॉन्ड, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना पर अर्जित ब्याज जैसी छूट वाली आय की रिपोर्ट करना भी एक अच्छा विचार है। यदि आप इस आय को हर समय रिपोर्ट करते रहे हैं तो इन निवेशों के परिपक्व होने पर आपको बड़ी रकम के क्रेडिट की व्याख्या करना आसान होगा।
अनलिस्टेड शेयरों, विदेशी संपत्तियों का खुलासा
सूचीबद्ध शेयरों और म्यूचुअल फंडों से कैपिटल गेन्स की सूचना तो आईटीआर में देनी ही चाहिए, साथ ही करदाताओं को गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों और उनके पास मौजूद विदेशी संपत्ति की भी घोषणा करनी चाहिए। भारत के बाहर मौजूद विदेशी संपत्ति (मालिक और लाभार्थी दोनों के रूप में) का उल्लेख अनुसूची एफए (विदेशी संपत्ति) में किया जाना है। अनुपालन न करने पर कठोर दंड का प्रावधान है। अघोषित विदेशी आय या संपत्ति पर 30% से अधिक जुर्माना लगाया जाता है, जो कि अघोषित संपत्ति की आय या मूल्य पर देय कर का 300% है। रिटर्न में ऐसी विदेशी संपत्ति का खुलासा नहीं करने पर 10 लाख रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जा सकता है।
जिन विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने की आवश्यकता है, उनमें विदेशी डिपॉजिटरी खाते, विदेशी कस्टोडियल खाते, विदेशी इक्विटी और ऋण ब्याज, किसी भी विदेशी कंपनी में रखे गए शेयर, किसी अन्य देश के कानूनों के तहत बनाए गए ऐसे ट्रस्टों का विवरण जिसमें असेसी एक ट्रस्टी है और अन्य पूंजीगत संपत्ति शामिल है।
डिविडेंड से आय
निवेशकों को म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) और स्टॉक से मिलने वाले डिविडेंड (Dividend) पर अब टैक्स लगता है। 2019-20 तक म्यूचुअल फंड डिविडेंड पर टैक्स फंड हाउस ही काट लेता था, लेकिन पिछले साल डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स हटा दिया गया था और डिविडेंड पर अब पूरी तरह से इनकम के तौर पर टैक्स लगता है। शेयरों से डिविडेंड पर भी ऐसे ही टैक्स लगता है।