91 हजार करोड़ के कर्ज घोटाले में दो शीर्ष अधिकारी गिरफ्तार

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नई दिल्ली। आर्थिक संकट में डूब चुकी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी आईएलएंडएफएस में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कंपनी के दो शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। यह इस मामले में पहली गिरफ्तारी है।

ईडी अधिकारियों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में आईएलएंडएफएस के पूर्व संयुक्त निदेशक अरुण के. साहा और आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क के प्रबंध निदेशक के. रामचंद शामिल हैं। इन दोनों को बुधवार देर शाम मनी लान्ड्रिंग कानून (पीएमएलए) के तहत मुंबई से हिरासत में लिया गया। दोनों को बृहस्पतिवार को मुंबई में विशेष पीएमएलए अदालत के सामने पेश किया जाएगा।

बता दें कि आईएलएंडएफएस करीब 91 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में फंसी हुई है। इसके लिए कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से बिना किसी जांच के बांटे गए अरबों रुपये के कर्ज को जिम्मेदार माना गया था, जो बाद में एनपीए (डूबे हुए कर्ज) में बदल गए।

ईडी ने पिछले साल दिसंबर में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की तरफ से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर फरवरी में मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। छह महीने में ईडी ने दो बार कंपनी के विभिन्न शीर्ष अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी कर सबूत जुटाए थे।

पिछले महीने भी ईडी ने मुंबई में आईएलएंडएफएस के चार निदेशकों के बांद्रा, खार, नरीमन प्वाइंट और गोरेगांव स्थित कार्यालय और घरों की तलाशी ली थी। बाद में एजेंसी ने छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज मिलने की बात कही थी। इससे पहले, केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में फरवरी में छापेमारी कर सबूत जुटाए थे।

इस मामले में गंभीर धोखाधड़ी अपराध कार्यालय (एसएफआईओ), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भी जांच कर रहे हैं। एसएफआईओ ने अपने आरोप पत्र में 30 व्यक्तियों व इकाइयों को इस धोखाधड़ी में शामिल बताया था।

पिछले साल सितंबर में सामने आया संकट
बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए कर्ज बांटने वाले आईएलएंडएफएस समूह के आर्थिक संकट का पिछले साल सितंबर तक किसी को भी आभास नहीं था। सितंबर, 2018 से समूह की सहायक कंपनियों ने विभिन्न वित्तीय संस्थानों से उठाए सस्ते ऋण की किस्तें चुकाना बंद कर दिया।

इसके बाद हुई जांच में कंपनी पर करीब 91000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया होने और उसका दिया अधिकतर कर्ज एनपीए हो जाने की बात सामने आई। इस संकट की वजह से सरकार को आईएलएंडएफएस समूह के निदेशक मंडल को भंग कर नए बोर्ड की नियुक्ति करनी पड़ी थी।

यह केस बना था जांच का कारण
एन्सो इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक आशीष बेगवानी ने पिछले साल आईएलएंडएफएस रेल लिमिटेड के अधिकारियों के घोटाले के कारण खुद को 70 करोड़ रुपये का नुकसान होने का मुकदमा दिल्ली पुलिस की ईओडब्ल्यू के पास दर्ज कराया था।

आशीष ने 2010 में रेल लिमिटेड में 170 करोड़ रुपये का निवेश कर 15 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। हालांकि आशीष से भी पहले 2017 की शुरुआत में ही एक व्हिसलब्लोअर की तरफ से कंपनी की अनियमितताओं का मुद्दा उठाए जाने की बात भी जांच में सामने आई थी। हालांकि इस शिकायत को कंपनी प्रबंधन ने दबा दिया था।

अधिकारियों ने शौक पूरे करने को बांटे कर्ज
एसआईएफओ की जांच में सामने आया था कि कंपनी के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने अपने निजी शौक पूरे करने के लिए फर्जीवाड़े को बढ़ावा दिया। इन अधिकारियों ने विदेश यात्रा, निजी जेट में सफर, हेलीकॉप्टर में घूमने और विदेशी सामानों से घर को सजाने के बदले नियम विरुद्ध कर्ज बांटे थे, जो बाद में वापस नहीं मिले।