हाडौती के जंगलों में प्रोजेक्ट पैंथर बनाया जाए: बाघ-चीता मित्र

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कोटा। बाघ-चीता मित्रों ने लोक सभा अध्यक्ष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र प्रेषित कर राज्य में पैंथर जैसे हिंसक वन्यजीव की असामयिक मौत पर चिंता जताई है

बाघ चीता मित्र बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि समूचे देश व प्रदेश में पैंथर आबादी में घुस कर वारदातें कर रहा है। ऐसे में लोग पैंथर को घेर कर मार देते है या फिर सडंक और रेल हादसों में इस वन्यजीव की असामयिक मौत हो जाती है।

इस तरह की घटनायें आए दिन होती रहती है जो गहरी चिंता का विषय है। जिस प्रकार से सूचनाऐं आ रही हैं उसके अनुसार राजस्थान में ही एक हजार से अधिक पैंथर विचरण कर रहे हैं और वन विभाग को आए दिन दौडाते रहते हैं। वन विभाग के पास अपनी ही भूमि बहुत है। क्यों न टाईगर और गोडावण प्रोजेक्ट की तर्ज पर पैंथर के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट पैंथर भी चलाया जाए। टाईगर प्रोजेक्ट तब चला जब ये लुप्त होने लगे। तो क्या हम इनके लुप्त होने का इंतजार करें।

उन्होंने बताया कि राजस्थान के जयपुर के पास झालाना में लैपर्ड सफारी का सफलता पूर्वक संचालन हो ही रहा है। झालाना के पास ही आंवांगढ़ को भी लेपर्ड कजंर्वेशन के लिए घोषित किया है। जवाई वन क्षैत्र को भी सफारी के लिए तैयार किया गया है। हाडौती के बूंदी, शाहबाद, शेरगढ आदि जंगलों को भी सफारी के लिए तैयार किया जा सकता है। जिससे कि जैव विविधता संरक्षण के साथ ही पर्यटन का भी विकास हो। जब नमीबिया और अफ्रीका से चीते लाकर बसाए जा सकते हैं तो लैपर्ड बघेरा तो स्थानीय वन्य प्राणि है।

बाघ- चीता मित्र (राष्ट्रीय जल बिरादरी,चम्बल संसद) के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने पत्र में कहा कि गत दिवस पैंथर कोटा बाॅयलोकिल पार्क की दीवार लांघ कर आ गया और हरिण के बच्चे को उठा कर ले गया। अब समय आ गया है कि सरकार को इन घटनाओं की गंभीरता से लेते हुए पैंथर लैपर्ड को संरक्षित करते हुए जंगलों को सुरक्षित बनाया जाए। इनकी कैप्टिव ब्रीडिंग हो।

वन्यजीवों के जानकार दौलत सिंह शक्तावत ने भी प्रोजेक्ट लैपर्ड चलाए जाने को सही माना है। प्रोजेक्ट सरकार पर बोझ न हो कर रोजगार सृजन का नया माध्यम बनेगा, जिसे धुंआ रहित उद्योग भी कह सकते है। इस पर वन्यजीव विशेषज्ञों की सलाह से काम करने की जरूरत है।