हथौड़े की मार सहकर ही पत्थर भगवान बन पुजाता है: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर मंगलवार को माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि जो तूफानों में भी अपनी धर्मरूपी नाव पर अडिग रहता है, वही संसार रूपी समुद्र को पार कर सकता है।

जैसे एक ही खदान से निकले एक पत्थर पर लोग चलते हैं और उसी खदान से निकले दूसरे पत्थर के सामने सारा संसार नतमस्तक होता है। अंतर बस इतना है कि जो पत्थर भगवान बन जाता है वह पत्थर उस लोहे के हथोड़े की ठोकर को सहर्ष स्वीकार कर लेता है। बार -बार ठोकर सहते-सहते एक दिन वह भगवान बन जाता है, जबकि दूसरा पत्थर हथौड़े की कुछ ही ठोकरों में टूट जाता है और उसे उठा कर अलग कर दिया जाता है।

माताजी ने कहा कि पत्थरों, अग्नि का प्रहार भी पारसनाथ की तपस्या को डिगा नहीं पाया। भगवान पारसनाथ के ऊपर खूब अग्नि, पानी, पत्थर बरसाए गए, लेकिन वह कमठ भी प्रभु को रंच मात्र अपने ध्यान से अडिग नहीं कर पाया और प्रभु को मोक्ष की प्राप्ति हुई । आज हम सब मिल कर भगवान का पूजन-अर्चन कर रहे हैं। हम दूसरों के दोष देखते हैं, बुराई देखते हैं और अच्छे की अपेक्षा रखते हैं।

उन्होंने कहा दूसरों के दोष छुपाना सीखें, छापना नहीं। सही सम्पत्व जिसको प्राप्त होगा, वह दूसरों के दोष छिपाएगा। इस दौरान आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी के सान्निध्य में अभिषेक, पूजा, प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें स्वस्ति मंगल पाठ तथा परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ, नवदेवता पूजन के बारे में जानकारी दी गई।