सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए रिडेम्पशन प्राइस तय, 12% से ज्यादा का मिलेगा एनुअल रिटर्न

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नई दिल्ली। Sovereign Gold Bond: आरबीआई ने पहले सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का रिडेम्पशन प्राइस तय कर दिया है। मतलब बॉन्ड धारक 6,132 रुपये प्रति यूनिट (1 यूनिट = 1 ग्राम) के भाव पर पहले गोल्ड बॉन्ड को बेच पाएंगे। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली सीरीज (2015-16 Series I) इसी महीने 30 तारीख को मैच्योर हो रही है।

नियमों के मुताबिक इस पहले गोल्ड बॉन्ड के लिए रिडेम्पशन प्राइस इश्यू की मैच्योरिटी की तारीख से पहले के सप्ताह (सोमवार-शुक्रवार) के दौरान आईबीजेए (IBJA) से प्राप्त गोल्ड (999) के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज है। यह सीरीज 30 नवंबर यानी गुरुवार को मैच्योर हो रहा है इसलिए रिडेम्पशन प्राइस इससे ठीक पहले के सप्ताह यानी 20 नवंबर से लेकर 24 नवंबर (सोमवार-शुक्रवार) के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज है।

मैच्योरिटी की राशि होगी कितनी
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है जिसकी गणना बॉन्ड के इश्यू होने के दिन से शुरू होती है। देश का पहला सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2,684 रुपये के इश्यू प्राइस पर 30 नवंबर 2015 को जारी हुआ था। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इस सीरीज के लिए 9,13,571 यूनिट/ग्राम (यानी 0.91 टन सोने की वैल्यू के बराबर) की बिक्री हुई थी। जबकि इसकी लिस्टिंग 13 जून 2016 को हुई थी। इस बॉन्ड का रिडेम्प्शन प्राइस 6,132 रुपये प्रति यूनिट है। इस हिसाब से इस सीरीज को रिडीम करने पर कुल 128.46 फीसदी का रिटर्न मिलेगा।

कितना मिलेगा एनुअल रिटर्न
निवेशकों को इस सीरीज के लिए प्रति वर्ष 2.75 फीसदी यानी 36.91 रुपये प्रति छह महीने जबकि पूरी मैच्योरिटी की अवधि के दौरान 590.48 रुपये इंटरेस्ट/कूपन मिला है। इस तरह से देखें तो इंटरेस्ट को जोड़ने के बाद पहली सीरीज ने 12 फीसदी से ज्यादा का एनुअल रिटर्न (CAGR) दिया है। सितंबर 2016 के बाद जारी होने वाले सीरीज के लिए इंटरेस्ट को सालाना 2.75 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है।

पहली सीरीज पर एनुअल रिटर्न की गणना

  • इश्यू प्राइस 1 ग्राम: 2,684 रुपये
  • रिडेम्प्शन प्राइस: 6,132
  • इंटरेस्ट: 590.48
  • रिडेम्प्शन प्राइस + इंटरेस्ट : 6,722.48
  • एनुअल रिटर्न (CAGR) : 12.16%

यदि सेकेंडरी मार्केट में खरीदा है तो…
यदि सेकेंडरी मार्केट यानी स्टॉक एक्सचेंज पर एसजीबी की इस सीरीज (NSE पर symbol- SGBNOV23 और BSE पर symbol- SGB20151) को डीमैट फॉर्म में खरीदा है और मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि कई लोग यह समझते हैं कि सेकेंडरी मार्केट में खरीदने के बाद यदि वे मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो उन्हें कैपिटल गेन पर होल्डिंग पीरियड के आधार पर टैक्स देना होगा।