सांसदों पर मुकदमा चलाने के लिए कौन देगा अनुमति, स्पीकर या लोकपाल

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नई दिल्ली। आरोपित सांसदों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने की स्थापित प्रणाली में क्या बदलाव आ सकता है? सांसदों पर मुकदमा चलाने की अनुमति लोकसभा स्पीकर देगा या लोकपाल। इस बारे में लोकसभा ने कानूनी राय मांगी है। लोकसभा की तरफ से इस विषय पर राय ली जा रही है कि भ्रष्टाचार के मामले में सांसदों की चार्जशीट को हरी झंडी दिखाने के लिए स्पीकर या लोकपाल में से कौन सक्षम प्राधिकारी होना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ने की मामले की पुष्टि
टाइम्स ऑफ इंडिया की तरफ से इस बारे में पूछे जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी पुष्टि की। यह मामला हाल ही में नारद-शारदा मामलों में पश्चिम बंगाल के लोकसभा सांसदों के चार्जशीट के लिए सीबीआई की लंबित याचिकाओं को लेकर सुर्खियों में आया था। इन सांसदों में तीन तृणमूल कांग्रेस और एक सांसद बंगाल में मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी हैं। सुवेंदु भी पूर्व तृणमूल सांसद रहे हैं।

SC के अनुसार स्पीकर सक्षम प्राधिकारी
इससे पहले सीबीआई ने लोकसभा सांसदों के चार्जशीट को लेकर लंबित अनुरोधों पर रिमाइंडर भेजा थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानदंड के अनुसार, संसद सदस्य पर मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा के अध्यक्ष को नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में माना जाता है। ऐसे में उसकी अनुमति आवश्यक है। उच्च सदन के मामले में राज्य सभा के सभापति का पद समान होता है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के दायरे में आने वाले भ्रष्टाचार मामलों में लोक सेवकों के लिए नियुक्ति प्राधिकारी से अभियोजन की मंजूरी जरूरी मानी जाती है।

मामले में अलग-अलग है एक्सपर्ट्स की राय
हालांकि, भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल, लोकपाल के अधिनियमन और नियुक्ति के बाद ऐसा लग रहा है जैसे संसदीय अधिकारियों की राय बदल गई है। स्पीकर ओम बिरला का कहना है कि यह मुद्दा विवादास्पद है और नियमित अंतराल पर सामने आता रहता है। हालांकि, लोकपाल की नियुक्ति के बाद इस बात का अध्ययन चल रहा था कि सक्षम प्राधिकारी कौन है, लोकपाल या अध्यक्ष। बिरला ने कहा, “हम पहले ही दो प्रमुख हस्तियों से कानूनी राय ले चुके हैं। हालांकि, दोनों के विचार अलग-अलग थे, जिसके कारण इस मामले को इसके बारे में अधिक अध्ययन करने के लिए एक्सपर्ट्स के पास भेजा गया है।”