श्रीअन्न के खुले आटे पर अब कोई जीएसटी नहीं, काउंसिल की बैठक में फैसला

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नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के दौरान लिए गए फैसलों का एलान कर दिया है। जीएसटी परिषद की 52वीं बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “पिछली 2-3 बैठकों में हमने ट्रिब्यूनल स्थापित करने पर फैसला किया था।

इस बैठक में भी ट्रिब्यूनल से जुड़े मुद्दे पर फैसला लिया गया। जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है। आज परिषद ने पहले लिए गए निर्णय में कुछ संशोधन करने का निर्णय लिया। वे न्यायिक सदस्य से संबंधित हैं। ये फैसले विशेष रूप से उनकी उम्र से जुड़े हैं।”

ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और सदस्यों की उम्र पर फैसला
वित्त मंत्री ने बताया कि आज लिए गए निर्णय के अनुसार अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम 70 वर्ष की आयु तक होगा। इससे पहले यह संख्या 67 थी। अध्यक्ष और सदस्यों के लिए यह क्रमशः 67 और 65 थी। जबकि हमने अब जो निर्णय लिया है उसके अनुसार कार्यकाल क्रमशः 70 और 67 वर्ष तक हो सकता है।

श्रीअन्न के खुले आटे पर अब कोई जीएसटी नहीं
जीएसटी परिषद की 52वीं बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “… जीएसटी परिषद मिलेट्स (श्रीअन्न) इयर का हिस्सा बनना चाहती थी। इसलिए मिलेट्स से जुड़ा बड़ा फैसला लिया गया। ऐसा आटा जिसमें मिलेट्स की मात्रा 70 फीसदी या अधिक हो और उसे खुले में बेचा जाता है तो उस पर 0% जीएसटी का प्रावधान किया गया है। 5% जीएसटी केवल तभी लगेगा जब उसे पैक करके बेचा जाता है।”

ईएनए पर कर लगाने का अधिकार राज्यों को
एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “जीएसटी परिषद ने आज ईएनए पर कर लगाने का अधिकार राज्यों को सौंप दिया है। यदि राज्य इस पर कर लगाना चाहते हैं, तो ऐसा करने के लिए उनका स्वागत है। यदि राज्य इसे छोड़ना चाहते हैं, तो इस पर निर्णय लेने के लिए उनका स्वागत है। जीएसटी परिषद इस पर कर लगाने का फैसला नहीं कर रही है, हालांकि कर लगाने का अधिकार यहां निहित है। इसलिए राज्यों के हित में, अगर मैं इस शब्द का इस्तेमाल करूं तो हमने यह अधिकार राज्यों को सौंप दिया है।

शीरे पर जीएसटी घटाया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद् की बैठक के बाद एलान किया है कि शीरे (मोलासेस) पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। हमें उम्मीद है कि इससे गन्ना किसानों को फायदा होगा, और इससे उनके बकाये का भुगतान तेजी से हो सकेगा क्योंकि मिलों या किसी के भी हाथों में अधिक पैसा बचेगा। परिषद और हम सभी महसूस करते हैं कि इससे पशु चारे के निर्माण की लागत में भी कमी आएगी, जो एक बड़ा विकास होगा।”