विदेशी निवेशकों ने सितम्बर में अब तक 4,800 करोड़ रुपये निकाले

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नई दिल्ली। Foreign portfolio investors withdrew: सितंबर के पहले हफ्ते में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। इसकी वजह बढ़ती अमेरिकी बांड पैदावार, मजबूत डॉलर और वैश्विक आर्थिक विकास को माना जा रहा है। एफपीआई ने करीब 4,800 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इस आउटफ्लो से पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक भारतीय इक्विटी खरीद रहे थे। बीते 6 महीनों में एफपीआई ने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा आने वाले कारोबारी दिनों में एफपीआई द्वारा बिक्री पर जोर देने की संभावना है। इसकी वजह है कि शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और इसका मूल्यांकन ऊंचा है। अमेरिका में उच्च बांड पैदावार (10-वर्ष 4.28 प्रतिशत पर है) और डॉलर इंडेक्स 105 से ऊपर है। इस वजह से एफपीआई द्वारा कई शेयर बेचने की संभावना है। इसके अलावा खुदरा निवेशकों की अतिसक्रियता भी बाजार में तेजी में योगदान दे रही है।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने अब तक यानी15 सितंबर 2023 तक इक्विटी से 4,768 करोड़ रुपये की शुद्ध राशि निकाली है। इस आंकड़े में प्राथमिक बाजार के माध्यम से थोक सौदे और निवेश शामिल हैं। यह अगस्त में इक्विटी में एफपीआई निवेश के चार महीने के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर पहुंचने के बाद आया है।

क्रेविंग अल्फा के स्मॉल केस मैनेजर और प्रिंसिपल पार्टनर मयंक मेहरा ने कहा सितंबर में एफपीआई की निकासी ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। इन आंदोलनों को वैश्विक वित्तीय गतिशीलता के व्यापक संदर्भ में देखना महत्वपूर्ण है।

आने वाले महीनों में एफपीआई के खरीदारों में बदलने की संभावना है। यह भारत के लचीलेपन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। इसके आगे वह कहते हैं कि जैसे-जैसे वैश्विक स्थितियां विकसित हो रही हैं और भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। बाजार के लिए शीघ्र ही सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने का कारण है।

आपको बता दें कि दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के डेट मार्केट में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.3 लाख करोड़ रुपये और डेट बाजार में 30,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

अगर बात करें कि एफपीआई ने किस सेक्टर में सबसे ज्यादा निवेश किया है तो आपको बता दें कि एफपीआई लगातार पूंजीगत सामान और बिजली खरीद रहे हैं। भले ही विदेशी निवेशक विक्रेता रहे हों लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा इसे निष्प्रभावी कर दिए जाने से बाजार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।