लोक सभा स्पीकर बिरला ने खर्चों में कटौती कर संसद के 160 करोड़ बचाए

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काेटा। लाेकसभा अध्यक्ष के रूप में कोटा-बूंदी सांसद ओम बिरला का एक साल का कार्यकाल शुक्रवार को पूरा हो गया। महज सालभर में बिरला ने लोकसभा की व्यवस्थाओं में कई बड़े बदलाव किए और कई ऐसे कड़े फैसले भी लिए, जिनकी देशभर में चर्चा रही। इस अवधि में देश की संसद ने कई नए रिकॉर्ड भी कायम किए।

सबसे अहम बात यह कि लोकसभा के खर्चों में कटौती कर 160 करोड़ की बचत करने में कामयाब रहे। बिरला ने 19 जून, 2019 को बतौर स्पीकर कार्यभार संभाला था। लोकसभा में विधायी कार्य का सालाना औसत 110 प्रतिशत रहा, जो 15वीं और 16वीं लोकसभा के क्रमशः 85 व 89% से ज्यादा है।

लोकसभा स्पीकर का एक साल
प्रश्नकाल के दौरान दोगुने हुए प्रश्नों के उत्तर: प्रश्नकाल के दौरान सरकार की ओर से आने जवाबों में भी तेजी आई। वर्ष 1996 से फरवरी 2019 के बीच प्रश्नकाल के दौरान औसतन 3.35 प्रतिशत प्रश्नों के उत्तर दिए गए, वहीं इस एक वर्ष में प्रश्नकाल के दौरान औसतन 6.68 प्रश्नों के उत्तर दिए गए।

प्रश्नकाल में टूटा 47 साल का रिकाॅर्ड: सरकार को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए प्रश्नकाल के दौरान व्यवस्थाओं में भी बदलाव किए। उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे छोटे प्रश्न पूछें, मंत्रियों से भी कहा संक्षिप्त उत्तर दें। इसकी नतीजा यह रहा कि 1972 के बाद पहली बार 27 नवंबर 2019 को प्रश्नकाल में 20 तारांकित प्रश्नों को लिया जा सका।

सांसदों को अब तत्काल मिलती है क्लिप: अब लोकसभा सचिवालय की ओर से सांसदों के मोबाइल पर उनके वक्तव्य के क्लिप व्हाट्सएप किए जा रहे हैं। इस नई व्यवस्था से सांसदों को यह लाभ हो रहा है कि वे अपने क्षेत्र की जनता को यह बता पा रहे हैं कि वे उनके कौनसे मुद्दे सदन में उठा रहे हैं।

विधेयक पेश होने से पहले ब्रीफिंग: कई सदस्यों की शिकायत होती थी कि जो विधेयक चर्चा के लिए सदन में पेश होता है, उसकी जानकारी पहले से नहीं होने के कारण चर्चा में कई बिंदुओं पर विचार नहीं हो पाता। ऐसे में बिरला ने प्रत्येक विधेयक प्रस्तुत होने से पूर्व ब्रीफिंग सत्र की नई परंपरा प्रारंभ की। इससे सदन में चर्चा के स्तर में भी सुधार हुआ है।

अब ऑनलाइन मिलता है संदर्भ: बिरला ने सदस्यों की क्षमता निर्माण के लिए ऑनलाइन संदर्भ सेवा प्रारंभ करने के साथ शोध, संदर्भ और सूचना तंत्र में भी बदलाव किए। नई एवं अत्याधुनिक प्राइड पार्लियामेंट्री रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (प्राइड) की स्थापना की गई है, जिसमें सांसदों के के साथ-साथ उनके निजी सहायकों व निजी स्टाफ के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई।

19 वर्ष बाद हुई जीपीसी की बैठक: लोकसभा के सामान्य प्रयोजनों संबंधी समिति की बैठक 19 वर्ष से नहीं हुई थी। बिरला ने तत्काल समिति की बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए। इस बैठक में स्थायी समितियों के सभापति, सभी दलों के नेता, लोकसभा के पैनल ऑफ चेयरपर्सन्स के सदस्य तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री समेत 35 सदस्य शामिल हुए।

30 साल बाद नियमों की समीक्षा: लोकसभा की प्रक्रियाओं व कार्य संचालन नियमों की समीक्षा आखिरी बार 1989 में की गई थी। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने इस दिशा में भी पहल करते हुए 11 नवंबर को नियमों व प्रक्रियाओं की समीक्षा के लिए 4 सदस्यीय समिति गठित की, जिसकी अध्यक्ष लोकसभा महासचिव स्नेहलता श्रीवास्ताव हैं।

नवनिर्वाचित सदस्यों को मुद्दे उठाने के मौके मिले: नवनिर्वाचित सदस्यों को विषय उठाने के अधिक से अधिक अवसर मिले, इसका लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने विशेष ध्यान रखा। बिरला की इस पहल के चलते पहले ही सत्र में 264 नवनिर्वाचित सदस्यों में से 229 सदस्य क्षेत्र से जुड़े मुद्दे सदन के समक्ष रख सके।

शून्यकाल में बने कई रिकॉर्ड: शून्यकाल की अवधि को विस्तार दिया। इसका असर यह हुआ कि एक वर्ष के दौरान सदस्यों ने शून्यकाल में 2436 मामले उठाए, जो रिकाॅर्ड है। पहले ही सत्र में 1066 सदस्यों को अपनी बात रखने का अवसर मिला। 18 जुलाई 2019 को उन्होंने 161 सदस्यों को विषय उठाने का मौक दिया, जो एक दिन की सर्वाधिक संख्या है।

विधेयक पारित करने में भी आगे: 17वीं लोकसभा के पहले ही सत्र में विधेयक पारित करने का भी रिकॉर्ड बना। इस सत्र में 35 विधेयक पारित किए, जो लोकसभा के पहले सत्र के इतिहास में सबसे ज्यादा है। दूसरे सत्र में 14 तथा तीसरे सत्र में 15 विधेयक पारित हुए। लोकसभा ने पूरे वर्ष में 64 विधेयक पारित किए।

सरकार अब 30 दिन में दे रही जवाब : सरकार की जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से यह सुनिश्चित किया कि नियम 377 के तहत उठाए जाने मामलों में संबंधित मंत्री 30 दिन की निर्धारित अवधि में उत्तर दें। 15वीं व 16वीं लोकसभा के दौरान जहां 60 प्रतिशत मामलों में ही उत्तर प्राप्त हुए थे, वहीं इस वर्ष करीब 80 प्रतिशत विषयों का जवाब दिया जा चुका है।