मोदी सरकार का आयकर सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने पर विचार

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नई दिल्ली। टैक्सपेयर्स (Income Tax Payers) के लिए अच्छी खबर है। सरकार आयकर सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने पर विचार कर रही है। यानी अगर आपकी सालाना इनकम पांच लाख रुपये तक है, तो आपको इनकम टैक्स नहीं देना होगा। आने वाले बजट में इसकी घोषणा की जा सकती है।

यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी फुल बजट होगा। साल 2024 में देश में आम चुनाव (General Election) होने हैं। इसलिए माना जा रहा है कि अपने आखिरी फुल बजट में मोदी सरकार टैक्सपेयर्स को राहत दे सकती है। वित्त वर्ष 2023-24 का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा। इससे पहले अंतिम बार 2014 में पर्सनल टैक्स छूट की सीमा (personal income tax slab) में बदलाव किया गया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे दो लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने की घोषणा की थी।

सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार दो साल पुरानी कर व्यवस्था में पर्सनल टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसे 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है। अधिकारियों का कहना है कि इससे टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी और उनके हाथ में निवेश के लिए ज्यादा पैसा रहेगा। सरकार ने दो साल पहले वैकल्पिक कर व्यवस्था (alternative tax regime) की घोषणा की थी। लेकिन इसे ज्यादा भाव नहीं मिला। यही वजह है कि इसे लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार इसमें बदलाव की तैयारी में है।

नया टैक्स स्ट्रक्चर
पुरानी कर व्यवस्था में सेक्शन 80 सी और 80 डी का इस्तेमाल करके टैक्सपेयर्स टैक्स (Tax Saving) बचा सकते हैं। लेकिन नई व्यवस्था में इस तरह की कई छूट खत्म कर दी गई है। यही वजह है कि केवल 10 से 12 टैक्सपेयर्स ने ही वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था को अपनाया है। इसमें 2.5 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं है। 2.5 लाख से पांच लाख रुपये तक पांच फीसदी, पांच से 7.5 लाख रुपये तक 10 फीसदी, 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक 15 फीसदी, 10 से 12.5 लाख रुपये तक 20 फीसदी, 12.5 लाख से 15 लाख रुपये तक 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से अधिक की सालाना इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।

सूत्रों का कहना है कि नई कर व्यवस्था में सुधार लाने के लिए संबंधित विभागों से सुझाव मांगे गए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि टैक्स पर बजट चर्चा अगले हफ्ते शुरू होगी और इसमें नई कर व्यवस्था में बदलाव की संभावना पर चर्चा होगी। हमें यह भी देखना होगा कि इसका रेवेन्यू पर क्या असर होगा और इसकी गुंजाइश है या नहीं। इसके लिए कुछ शुरुआती आकलन हुआ है और इस पर अभी और माथापच्ची हो सकती है। नई और पुरानी, दोनों व्यवस्थाओं में पर्सनल इनकम टैक्स में बदलाव पर विचार किया जा सकता है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में वैकल्पिक कर व्यवस्था की घोषणा की गई थी। इसमें कर की दरें कम रखी गई थीं लेकिन कई तरह की छूट को खत्म कर दिया गया था।

वेतनभोगियों को फायदा नहीं
जानकारों का कहना है कि सैलरी पाने वाले लोगों को नई कर व्यवस्था में फायदा नहीं है। इसकी वजह यह है कि इसमें उन्हें एचआरए, एलटीए, स्टैंडर्ड डिडक्शन, सेक्शन 80सी और सेक्शन 80डी के तहत मिलने वाली छूट नहीं मिलेगी। हालांकि नॉन-रेजिडेंट के लिए नई कर व्यवस्था फायदेमंद है। इसकी वजह यह है कि क्योंकि वे ज्यादातर छूट का दावा नहीं करते हैं। नई व्यवस्था में कंप्लायंसेज कम हैं और रिटर्न फाइल करने बेहद आसान है। इसमें भविष्य में जांच के लिए कागजातों को संभालकर रखने को झंझट भी नहीं है।