महर्षि नवल स्वामी की निकली भव्य शोभायात्रा, जयकारों से गूंजा शहर

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बच्चों को अंधकार से लड़ने की ताकत शिक्षा से मिलेगी:उमेशनाथ महाराज

कोटा। नवल धर्मसभा की ओर से आयोजित किए जा रहे वाल्मीकि समाज के कुलगुरु महर्षि नवल स्वामी के 240वें जन्म जयंती समारोह के अंतिम दिन रविवार को शोभायात्रा निकाली गई। वहीं उमरावमल पुरोहित सभागार में आयोजित धर्मसभा में 51 भामाशाहों और प्रतिभाओं का सम्मान किया गया।

समारोह में नवल धर्मसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नवल गुरू गादीपति आचार्य चरणदास महाराज, जिला कलेक्टर ओपी बुनकर, कबीर आश्रम के संन्त प्रभाकर साहेब, बालयोगी उमेशनाथ महाराज, पूर्व सांसद गोपाल पचेरवाल, नारायण डंगोरिया, रामगोपाल राजा, रेलवे डीपीओ विजय सिंह, डॉ. एससी दुलारा अतिथि के रुप में मौजूद रहे।

इससे पहले उमरावमल पुरोहित सभागार से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें महिलाएं सिर पर कलश धारण कर चल रही थी। वहीं मधुर स्वर लहरियां बिखेरते डीजे, महर्षि नवल स्वामी और महर्षि वाल्मीकि समेत विभिन्न झांकियां चल रही थी। बग्घियों में संत विराजमान होकर चले। शोभायात्रा सभागार से प्रारंभ होकर शीतला चौक, भीममंडी थाना, बजरिया होते हुए उमरावमल पुरोहित सभागार पहुंची। शोभायात्रा में साथ चल रहे डीजे पर मधुर स्वर लहरियों के साथ महर्षि नवल स्वामी का गुणगान करते गीत गूंज रहे थे। युवा महर्षि नवल करतार के जयकारों से आसमान गुंजायमान कर रहे थे। विशाल भगवे और पीले ध्वज रैली की शोभा बढ़ा रहे थे। ड्रोन से पुष्प वर्षा की जा रही थी।

इस दौरान संत चरणदास महाराज द्वारा सनातन संस्कृति व मूल्यों के द्वारा धर्म आचरण पर समाज को जोड़ कर समग्र विकास का उद्घोष किया। कबीर सेवा आश्रम से आचार्य प्रभाकर द्वारा कबीर की वाणियो में मानव व मानवता से जोड़कर जनकल्याण की भावना का संदेश दिया।

उमेशनाथ महाराज ने कहा कि संत और समाज परस्पर पूरक हैं। आज देश का समूचा परिवेश पाश्चात्य सभ्यता में उलझ गया है। ऐसे में ऋषि मुनियों की परंपरा को बचाने की आवश्यकता हो गई है। महर्षि नवल करतार ने चमत्कारों से राजसत्ता को झुकाने का काम किया था। उनकी परंपरा के लोगों ने मुगल शासन से संस्कृति को बचाए रखा। महर्षि वाल्मीकि की परंपरा के लोग सनातन संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को अंधकार से लड़ने की ताकत शिक्षा से ही मिल सकती है। बच्चों को शिक्षा के साथ दीक्षा के संस्कार भी दें। इसके बिना माता पिता वृद्धाश्रम में जाने को मजबूर होते हैं।

नारायण डंगोरिया ने कहा कि महर्षि नवल स्वामी का नाम पाठ्यक्रम में नहीं होने के पीछे हमारी अकर्मण्यता है। आज राजस्थान सरकार में वाल्मीकि समाज का कोई पैरोकार नहीं है। नवल धर्मसभा के महामंत्री नवलरत्न राजकुमार सरसिया ने कहा कि भेदभाव के चरमोत्कर्ष में भी महर्षि नवल स्वामी ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया था। शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जिसे जो भी पीएगा दहाड़ेगा। युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सफेला ने कहा कि आधुनिक भारत के इतिहासकारों ने महर्षि नवल स्वामी को भुला दिया। आज उस महानायक की कहानी को आधुनिक समाज को बताने के लिए महर्षि नवल स्वामी के वंशजों को घर घर जाने का संकल्प करना होगा।

इस अवसर पर संत बलदेवा नन्द, शीतल सन्त रामप्रसाद महाराज, सुंगनदास महाराज, सन्त घासी साहेब, मदन नकवाल, छीतरदास अचरोल, युवा प्रकोष्ठ शहर अध्यक्ष कुलदीप सारवान, जिलाध्यक्ष आचार्य गणेश झावा, युवा प्रकोष्ठ प्रदेश महामंत्री पंकज घेघट, संजय पंवार, पूर्व सफाई कर्मचारी आयोग सदस्य दीपक सनगत, राकेश पाटोना, सुरेंद्र पंवार, आचार्य सुरेश टोपिया, रामरतन सनगत, बाबा दिनेश डांगी, अविनाश डंगोरिया, बलराम नकवाल, रामदयाल नकवाल, सुनील रणवा, विनोद गोरे, ललित घेंघट उपस्थित रहे।

शिक्षा के बिना कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता:बुनकर
इस दौरान जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने लड़कियों से पूछा कितनी बालिकाएं ग्रेजुएट हैं। जिस पर 5 महिलाओं ने हाथ खड़े किए। जिला कलेक्टर ने कहा कि बिना शिक्षा के कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता है। बालक को पालने और संस्कार देने में मां का सर्वाधिक योगदान होता है।