भारत की ताकत के आगे झुका अमेरिका, निर्यात पर नहीं लगेगा टैक्स

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नई दिल्ली।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के कड़े विरोध के बाद बैकफुट पर आ गए हैं। खुद अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के भारत से सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) को तरजीही खत्म करने का विरोध किया। डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तुलसी गब्बार्ड समेत अमेरिका के कई प्रमुख सांसदों ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आग्रह किया है। इसके बाद माना जा रहा है कि अमेरिका जीएसपी समाप्त करने की समय सीमा को बढ़ा सकता है।

बैकफुट पर आने की यह वजह
अमेरिका और भारत के बीच खरबों डालर का व्यापार है। अमेरिका की गूगल, फेसबुक, उबर, अमेजन समेत कई कंपनियां भारत में बिजनेस करती है। भारत ने अपना पक्ष रखते हुए अमेरिका को यही समझाने की कोशिश की थी कि जब अमेरिका भी अपनी इन कंपनियों से इतनी कमाई करता है तो फिर भारत के साथ दोगुला व्यवहार क्यों? भारत ने अपनी इस बात से अमेरिका पर दवाब डाला।

GSP का मतलब
ट्रंप ने इसी महीने अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को भारत सहित कुछ अन्य देशों को दी गई तरजीही सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) कार्यक्रम के तहत लाभार्थी विकासशील देश का दर्जा समाप्त करने के इरादे के बारे में बताया था। इसके तहत कम विकसित अथवा कुछ विकासशील देशों से कुछ उत्पादों के शुल्क मुक्त आयात की व्यवस्था है।

इसका मकसद उनकी अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करना है। अमेरिकी जीएसपी कार्यक्रम के तहत वाहनों के कल-पुर्जे और परिधान सामग्री समेत करीब 2,000 उत्पाद अमेरिका में शुल्क मुक्त रूप से आयात किये जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए शर्त है कि लाभार्थी विकासशील देश कांग्रेस द्वारा स्थापित पात्रता मानदंडों को पूरा करे। अमेरिकी कांग्रेस के अनुसार इस छूट से भारत को सर्वाधिक लाभ हुआ।

बढ़ सकता है नोटिस पीरियड
जीएसपी से बाहर करने के लिए अमेरिका ने दो महीने का नोटिस दिया है। अब माना जा रहा है कि अमेरिका सीधे नोटिस को वापस लेने की बजाय इसका टाइम पीरियड बढ़ाएगा। भारत में नई सरकार के गठन के बाद उससे बातचीत कर यह मसला सुलझाया जाएगा।

रियायत खत्म करने का सही समय नहीं
रिपब्लिक पार्टी के सांसद जार्ज होल्डिंग ने कहा कि भारत को तीन दशकों से तरजीही व्यापार का दर्जा मिला हुआ है और इसे खत्म करने का यह सही समय नहीं है। उन्होंने कहा, इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। लेकिन चुनाव से पहले इसकी जरूरत नहीं है।