भारतीय भाषा पुस्तक प्रदर्शनी में दुर्लभ पाण्डुलिपियां बनीं आकर्षण

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कोटा। Indian Language Book Exhibition:राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में बुधवार को भारतीय भाषा उत्सव की शृंखला में दुर्लभ पाण्डुलिपियां पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी में दुर्लभ पुस्तकें आकर्षण का केंद्र रहीं।

इस अवसर पर डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव संभागीय पुस्तकालयाध्यक्ष ने बताया कि पाण्डुलिपि या मातृकाग्रन्थ एक हस्तलिखित ग्रन्थ विशेष है । इसको हस्तप्रति, लिपिग्रन्थ इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।

कार्यक्रम प्रभारी शशि जैन ने कहा कि आंगळ भाषा में यह मेन्युस्क्रिप्ट शब्द से प्रसिद्ध है। इन ग्रन्थों को एमएस या एमएसएस इन संक्षेप नामों से भी जाना जाता है। हिन्दी भाषा में यह ‘पाण्डुलिपि’, ‘हस्तलेख’, ‘हस्तलिपि’ इत्यादि नामों से प्रसिद्ध है।

पाठक कोमल ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में विदेशियों द्वारा संस्कृत का अध्ययन आरम्भ हुआ। अध्ययन आरम्भ होने के पश्चात इसकी प्रसिद्धि सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में और अठारवीं शताब्दी के आरम्भ में मानी जाती है। उस कालखण्ड में भारत में स्थित मातृकाग्रन्थों का अध्ययन एवं संरक्षण विविध संगठनों द्वारा किया गया ।

वरिष्ठ पाठक बिगुल जैन ने आभार जताते हुये कहा कि पाण्डुलिपि उस दस्तावेज को कहते हैं, जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो। जैसे हस्तलिखित पत्र, मुद्रित किया हुआ या किसी अन्य विधि से, किसी दूसरे दस्तावेज से नकल करके तैयार सामग्री को पाण्डुलिपि नहीं कहते हैं।