बड़े मथुराधीश मंदिर पर सांझी मनोरथ उत्सव की पूर्णाहुति आज, 15 से होगा नवविलास उत्सव

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फूलों से सजी सांझी, राधाकृष्ण का स्वरूप मान किए भक्तों ने दर्शन, जयकारों से गूंजा पाटनपोल

कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथमपीठ श्री मथुराधीश प्रभु के पाटनपोल स्थित मंदिर पर गुरुवार को प्रभु के सांझी मनोरथ के दर्शन हुए। भक्तों ने सांझियों को साक्षात राधाकृष्ण का प्रतिरूप मानकर दर्शन किए तो मंदिर परिसर प्रभु के जयकारों से गूंज उठा। सांझी मनोरथ उत्सव की पूर्णाहुति शुक्रवार को होगी। इस दौरान शाम 6.45 बजे के बाद सेवानुकूल समय में सांझी दर्शन होंगे। वहीं रविवार से मन्दिर पर नवविलास उत्सव होगा।

प्रथम पीठ युवराज मिलन बावा की आज्ञा से पितृपक्ष में सांझी मनोरथ उत्सव हुआ। जिसके अंतर्गत मंदिर में पितृपक्ष की चतुर्दशी तक प्रतिदिन शाम को सांझी मनोरथ के दर्शन होते हैं।

प्रबंधक मोनू व्यास ने बताया कि पितृ पक्ष के दौरान मंदिर में वल्लभ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार सांझी सजाई जाती है। जिनमें राधाकृष्ण की लीलाओं का साक्षात दर्शन भक्तों के द्वारा किया जाता है। वल्लभ कुल में सांझी को भी उपासना का मुख्य अंग माना गया है। सांझी मनोरथ के अंतर्गत पुष्पों की पंखुडिय़ों से तैयार सांझी के दर्शन करने के लिए भक्त बड़ी संख्या में पहुंचे थे।

राधारानी गोपियों के संग बनातीं थी
मान्यता के अनुसार जब श्रीकृष्ण गौचारण कर लौटते थे तो गोधूलि बेला में राधारानी गोपिकाओं के साथ मार्ग को विभिन्न प्रकार के पुष्पों से सजा देतीं थीं। जिसे देख श्रीकृष्ण तथा ग्वाल मण्डली आनंदित होती थीं। आज भी वल्लभ संप्रदाय के मंदिरों में इस परम्परा का अनुकरण होता है।

ठाकुर जी के सम्मुख फूलों से बनी सांझी
वल्लभ कुल के परंपरा के अनुसार गुरुवार को फूलों की सांझी बनाई गई। जिसमें चार आयुध शंख, चक्र, गदा, पद्म बनाए गए। प्रभु सेवा में बनी सांझी का अंकन आकर्षण का केंद्र रही। फूलों से बनी कलात्मक साँझी ने सहज ही मोहित कर दिया। इसे राधे रानी का प्रतिरूप मानकर शाम के समय सांझी की आरती की गई।