उद्योगों में काम आने वाले पेट्रोलियम बेस्ड फ्यूल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए

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लघु उद्योग भारती ने जीएसटी आयुक्त को दिया ज्ञापन, रखी विभिन्न मांगें

कोटा। लघु उद्योग भारती कोटा इकाई की ओर से अध्यक्ष नितिन अग्रवाल की अगुवाई में विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार को वस्तु एवं सेवा कर विभाग राजस्थान के आयुक्त को ज्ञापन दिया गया। प्रतिनिधिमण्डल ने वस्तु एवं सेवा कर में संशोधन के लिए सुझाव दिए।

ज्ञापन में कहा कि जीएसटी लागू होने के समय वर्ष 2017- 18 में उद्योगों द्वारा जो स्टॉक का डिक्लेरेशन दिया गया था। उसका 6 साल बाद वेरीफिकेशन करना व्यवहारिक नहीं है। जब डिपार्टमेंट किसी व्यापारी को पेमेंट करने के लिए 6 महीने तक का समय देता है तो उसका ब्याज 6 महीने बाद की अवधि पर ही लगना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जीएसटी रिटर्न फाइल करने की कार्य प्रणाली व समय अवधि में समानता होनी चाहिए। मिसमैच की विसंगतियों को दूर करने के लिए एक महीने के लिए प्रोविजनल रिटर्न का प्रावधान दिया जाना अपेक्षित है, जिससे कि सभी व्यापारियों व उद्योगों को रिटर्न कैंसल करने के लिए एक महीने की अवधि का समय मिल सके। वह मिसमैच से बच सके।

उन्होंने कहा कि उद्योगों में काम में लिए जाने वाले पेट्रोलियम बेस्ड फ्यूल को जीएसटी के दायरे में लिया जाना प्रस्तावित है। इसे तुरंत प्रभाव से लागू किया जाए। इसे मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के उत्पादन लागत में कमी आएगी, जिससे इन क्षेत्र के उद्योगों के विकास को गति मिलेगी।