निर्भया केस / दुष्कर्मियों की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज, 22 को होगी फांसी

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नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों विनय शर्मा और मुकेश सिंह की क्यूरेटिव पिटिशन आज सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई है। पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ वॉरंट जारी होने के बाद दोनों दोषियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पिछले हफ्ते दोषी अक्षय ठाकुर (31), पवन गुप्ता (25), मुकेश सिंह (32) और विनय शर्मा (26) का डेथ वॉरंट जारी किया था। अदालत ने चारों दोषियों को एक साथ 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाने का वक्त मुकर्रर किया है।

हालांकि, दोषी विनय शर्मा और मुकेश सिंह के पास अब सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प बचा है। बाकी 2 दोषी अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के 2 विकल्प बाकी हैं। उधर, तिहाड़ जेल में फांसी की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। निर्भया की मां आशा देवी ने कहा- यह मेरे लिए बड़ा दिन है। मैं बीते 7 सालों से संघर्ष कर रही हूं। मगर सबसे बड़ा दिन 22 जनवरी को होगा जब दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा।

विनय ने याचिका में दी हैं ये दलीलें
निर्भया के गुनहगार विनय ने अपनी क्यूरेटिव पिटिशन में अपनी युवावस्था का हवाला देते हुए कहा था कि कोर्ट ने इस पहलू को त्रुटिवश अस्वीकार कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितयों, उसके बीमार माता-पिता सहित परिवार के आश्रितों और जेल में उसके अच्छे आचरण और उसमें सुधार की गुंजाइश के बिंदुओं पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया है और जिसकी वजह से उसके साथ न्याय नहीं हुआ है।

जानें क्या होती है क्यूरेटिव पिटिशन
एक्सपर्ट की माने कि निर्भया के दोषी की याचिका को स्वीकार करने की संभावना बेहद कम है। विरले ही मामले में ही क्यूरेटिव पिटिशन में शीर्ष अदालत ने अपना फैसला बदला है। चूंकि हर व्यक्ति को अपने बचाव का संवैधानिक अधिकार है तो कोई भी दोषी याचिका दाखिल कर सकता है।

क्यूरेटिव पिटिशन में मुजरिम जजमेंट के तकनीकी पहलुओं की ओर ध्यान दिलाता है और सवाल उठाता है कि जजमेंट में कहा सुधार की जरूरत है। लेकिन इसके लिए सीनियर एडवोकेट की सिफारिश की जरूरत होती है। सीनियर वकील की सिफारिश के बिना क्यूरेटिव दाखिल नहीं हो सकती। क्यूरेटिव पिटिशन पर चैंबर में सुनवाई होती है। सुप्रीम कोर्ट अगर क्यूरेटिव पिटिशन को भी खारिज कर दे फिर दया याचिका दायर किए जाने का प्रावधान है।