द कश्मीर फाइल्स को कोई पिशाच ही झूठी कहेगा : कवि कुमार विश्वास

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मुंबई। ‘दसवीं’ (Dasvi) एजुकेशन जैसे गंभीर विषय पर बनी फिल्म के डायलॉग लिखने की जिम्मेदारी हिंदी के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) ने निभाई है। ‘थोड़ा ऊंचा बोला कर’ और ‘यो चौधराहट की पगड़ी है, झुकती कोनी’ जैसे कई डायलॉग जिनपर दर्शक ठहाके लगाने पर मजबूर हो जाते हैं, ये कुमार विश्वास की कलम से ही निकले हैं। ‘दसवीं’ के सिलसिले में कुमार विश्वास (Kumar Vishwas Interview) ने मीडिया से बातचीत की। इस इंटरव्यू में उन्होंने बॉलिवुड के रवैये से लेकर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।

बॉलिवुड की फिल्मों पर एजेंडा ग्रसित होने का आरोप और हालिया फिल्मों पर मचे विवाद पर बात करते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि ‘ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। ऐसा विश्व इतिहास में होता आया है। मेरा मानना है कि एजेंडा एजेंडे से कटता है। हर चीज को प्रस्तुत करने के दो तरीके होते है। जैसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर इन दिनों खूब चर्चा हुई। मैंने फिलहाल ये फिल्म देखी नहीं है क्योंकि मुझे इस फिल्म की टिकट नहीं मिल पाई थी।’

द कश्मीर फाइल्स को लेकर वह कहते हैं, ‘मेरा कहना ये है कि अगर आप किसी के दर्द पर बात करें तो आप ‘अगर’ ‘मगर’ ‘लेकिन’ ऐसे शब्दों से हटकर चर्चा करें। आप ये स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की एक दर्दभरी दास्तां हैं तो आप कैसे इस फिल्म के बारे में बात कर सकते हैं। आप इस फिल्म के बारे में तथ्यों को लेकर बात करें कि क्या चीजें इसमें शामिल नहीं हैं और कहां कमी रह गई।’

‘अगर आप ये कह दें कि ये झूठी फिल्म है तो ये गलत है। जैसे हाल में ही एक पिशाच ने हंसते हुए कहा कि ये झूठी फिल्म है तो ये वाहियात बात है। इसका मतलब ये होता है कि आप किसी के दर्द में शामिल नहीं होना चाहते हैं। मैंने पर्सनली विवेक अग्निहोत्री को को फोन करके बधाई दी थी कि उन्होंने एक अच्छी कोशिश की है।’

इस वजह से ज्यादा देखी गई द कश्मीर फाइल्स
‘मैं दसों साल से सार्वजनिक तौर पर बोलता रहा हूं कि जहां आप किसी के दर्द पर बात कर रहे हैं तो आपको समीक्षक नहीं मनुष्य होकर बात करनी चाहिए। जिन लोगों ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ का विरोध किया, वो इसीलिए जनता की निगाहों में अप्रासंगिक हुए। इसी वजह से जनता ने ये फिल्म ज्यादा देखी। हम लोगों की आंखों के सामने कश्मीर में ये घटना घटित हुई और हमने उस दर्द को देखा व महसूस किया है। रही बात एंजेडा ग्रसित होने की तो मैं लेखकों से यही कहना चाहता हूं कि किसी भी भयावह घटना को आप लिख रहे हैं या दिखा रहे हैं तो उसे उस आग के साथ दिखाए लेकिन ध्यान रहे कि वो बेड़े से बाहर न जाए।’