टैक्स और पर्सनल फाइनेंस से जुड़े ये नियम कल से बदल जाएंगे

2010

नई दिल्ली।नए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल2019 से पर्सनल फाइनेंस से जुड़े कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है। यह बदलाव आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग पर असर डालेंगे। इस वर्ष के अंतरिम बजट में सरकार ने टैक्स को लेकर कई घोषणाएं की थीं। ये घोषणाएं इस वित्त वर्ष से लागू हो जाएंगी। आपके लिए इनके बारे में जानना जरूरी है।

पांच लाख तक की टैक्सेबल आय पर कोई टैक्स नहीं
केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट 2019 में पांच लाख रुपए की टैक्सेबल आय को टैक्स फ्री कर दिया है। इसलिए अगर आपकी आय इस दायरे में आती है, तो आपको इनकम टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी।

स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़कर 50,000 रुपए
अंतरिम बजट 2019 में केंद्र सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया था, लिहाजा नए वित्त वर्ष में आप ज्यादा टैक्स बचा पाएंगे।

दूसरे मकान के नोशनल रेंट पर कोई टैक्स नहीं
केंद्र सरकार की अंतरिम बजट की घोषणा के मुताबिक, अगर आपके पास दो घर हैं और दूसरा घर खाली है, तो उसे भी सेल्फ-ऑक्युपाइड (अपने ही अंदर) ही माना जाएगा और आपको नोशनल रेंट (काल्पनिक किराये) पर टैक्स नहीं देना होगा। वर्तमान में अगर आपके पास एक से अधिक घर हैं तो उनमें से एक ही घर सेल्फ-ऑक्युपाइड और दूसरा घर किराये पर दिया हुआ माना जाता है, जिसके नोशनल रेंट पर टैक्स देना पड़ता है।

एक्सटर्नल बेंचमार्क से तय होगा लोन पर इंट्रेस्ट रेट
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन और एमएसएमई कर्ज पर ‘फ्लोटिंग’ (परिवर्तनीय) ब्याज दरें एक अप्रैल से रेपो रेट या सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश पर प्रतिफल जैसे बाहरी मानकों से संबद्ध कर दिया है। फिलहाल, बैंक अपने कर्ज की दरों को प्रधान उधारी दर (पीएलआर), मानक प्रधान उधारी दर (BPLR), आधार दर तथा अपने कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर जैसे आंतरिक मानकों के आधार पर तय करते हैं।

टीडीएस की सीमा बढ़कर 40 हजार हुई
ब्याज से होने वाली आय पर स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) की सीमा सालाना 10 हजार रुपए से बढ़कर 40 हजार रुपए हो गई है। इससे उन वरिष्ठ लोगों तथा छोटे जमाकर्ताओं को फायदा होगा, जो बैंकों एवं डाकघरों की जमाराशि के ब्याज पर निर्भर करते हैं। अभी तक ये जमाकर्ता 10 हजार रुपए प्रति वर्ष तक की ब्याज आय पर कटे कर का रिफंड मांग सकते थे।

हाउजिंग सेक्टर के लिए जीएसटी की नई दरें और नियम
जीएसटी काउंसिल ने 24 फरवरी, 2019 को अपनी 33वीं बैठक में और उसके बाद स्पष्टीकरण में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए जीएसटी की नई दरें जारी की हैं, जो एक अप्रैल, 2019 से लागू हो जाएंगी। एक अप्रैल 2019 से निर्माणाधीन प्रॉजेक्ट्स पर डेवलपरों और बिल्डरों के पास जीएसटी के दो विकल्प होंगे।

या तो वे इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा के साथ 12 फीसदी जीएसटी का विकल्प चुनेंगे या फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना पांच फीसदी जीएसटी के विकल्प का चयन करेंगे। किफायती मकानों के संदर्भ में जीएसटी की दर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ आठ फीसदी और इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना एक फीसदी होगी। एक अप्रैल, 2019 से शुरू होने वाले किसी भी नए प्रॉजेक्ट पर जीएसटी की नई दरें लागू करना अनिवार्य होगा।

एक अप्रैल, 2019 से फिजिकल शेयरों का ट्रांसफर नहीं
जिन लोगों के पास लिस्टेड कंपनियों के शेयर फिजिकल फॉर्म में हैं, वे एक अप्रैल के बाद उन्हें न तो ट्रांसफर कर पाएंगे और न ही बेच पाएंगे। इससे पहले यह सीमा 5 दिसंबर, 2018 थी। जून में सेबी ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट्स (एलओडीआर) रेग्युलेशंस में बदलाव किया था।

अभी 3.33 लाख करोड़ या देश में लिस्टेड कंपनियों के कुल मार्केट कैप का 2.3 पर्सेंट हिस्सा फिजिकल शेयरों के रूप में है। कई निवेशकों, खासतौर पर बुजुर्गों को अब फिजिकल शेयरों को डीमैट फॉर्म में बदलना पड़ेगा, तभी वे उन्हें ट्रांसफर कर पाएंगे या बेच पाएंगे।

कैपिटल गेन का दो रिहायशी मकानों में निवेश के लाभ
वैसे टैक्सपेयर्स जो अपना मकान बेच चुके हैं, उनके पास टैक्स से बचने के लिए अपनी एलटीसीजी को एक मकान के बदले दो मकानों में निवेश करने का विकल्प होगा। हालांकि, आपको यह बात पता होनी चाहिए कि एलटीसीजी की रकम दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और इसका फायदा आप जीवन में एक बार ही उठा सकते हैं।

इक्विटी एलटीसीजी टैक्सेशन बदला
इक्विटी शेयर और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड पर एलटीसीजी की घोषणा 2018 के बजट में की गई थी। इसलिए, अगर आपने उन इक्विटी शेयर्स और/या इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स को वित्त वर्ष 2018-19 में बेचा है और अगर उसे आपने एक साल से अधिक वक्त तक अपने पास रखा है तो उसपर आपको वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त टैक्स का भुगतान करना होगा। अगर यह लाभ एक लाख रुपये से अधिक होगा, तो एलटीसीजी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा और इसपर इंडेक्सेशन का फायदा नहीं मिलेगा।