जी20 नेताओं की बैठक में कल से दो दिन इन पांच पहलों पर होगी चर्चा

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नई दिल्ली। जी-20 (G-20) के सदस्य देश दुनिया की 80 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन देशों के शीर्ष नेता सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में रहेंगे। दो दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली वैश्विक राजधानी बनी रहेगी।

खास बात यह है कि इस बार के शिखर सम्मेलन के दौरान भारत अपनी अध्यक्षता में पांच पहलों के जरिये दुनिया के देशों को एक-दूसरे के करीब लाने में सफल होता दिख रहा है। इन पांच पहलों में पहली बार विदेश मंत्रियों की बैठक के परिणाम और अध्यक्ष द्वारा सारांश जारी किया गया, जिसे सभी देशों की मंजूरी मिली।

वायस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का आयोजन, निजी क्षेत्र में महिला नेतृत्व बढ़ाने, डिजिटल दुनिया के लिए जरूरी शुरुआत व खाद्य संकट सुलझाने के लिए मोटे अनाज की पहल भी भारत की बड़ी उपलब्धियां रही हैं।

जी20 नेताओं की बैठक से पहले भारत ने जी20 के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक पर पहली बार एक दस्तावेज ‘विदेश मंत्रियों की बैठक के परिणाम और अध्यक्ष द्वारा सारांश’ (एफएमएम ओडीसीएस) जारी किया है। समस्त दस्तावेज इन मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के नतीजों पर आधारित है, इसे सभी ने स्वीकार भी कर लिया है।

दूसरी ओर यह भारत का ही नेतृत्व है, जिसकी मेजबानी में ‘वॉइस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ का उदघाटन हुआ। इसमें 125 देश शामिल हुए। इन देशों ने समिट के दो दिन तक चले 10 सत्र में हिस्सा लिया। इस आयोजन में भागीदार मुल्कों को ऐसा मंच दिया गया, जहां से उन्होंने विकासशील दुनिया से जुड़ी अपनी चिंताएं, विचार, चुनौतियां और प्राथमिकताएं बाकी दुनिया, खासतौर से विकसित ग्लोबल नॉर्थ के सामने रखीं।

क्रिप्टोकरेंसी पर निगरानी नीति
जी-20 देश क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों से निपटने के लिए एक वैश्विक ढांचा बनाए जाने पर सहमत हो गए हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन ने पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और फाइनेंस स्टैबिलिटी बोर्ड (एफएसबी)ने इसके लिए एक रोडमैप तैयार कर लिया है। जी-20 के वर्तमान अध्यक्ष भारत के अनुरोध पर यह रोडमैप तैयार किया गया है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस विषय पर बाकी चर्चा जी-20 बैठक के दौरान होगी।

रोडमैप में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए सुझाव दिया गया है कि इसका इस्तेमाल आधिकारिक मुद्रा या लीगल टेंडर के रूप में न किया जाए। साथ ही, क्रिप्टो के खिलाफ एक मजबूत तंत्र बनाने के लिए वैश्विक समन्वय बढ़ाने और अधिक-से-अधिक सूचनाएं साझा करने का सुझाव दिया गया है।

मोटे अनाज पर एक पहल
मुख्य कृषि वैज्ञानिकों की बैठक (मैक्स) में भारत ने महर्षि पहल का समर्थन किया। महर्षि यानी ‘मोटे अनाज व अन्य प्राचीन अन्न को लेकर अंतरराष्ट्रीय शोध पहल’। इसके जरिए ऐसी प्रणाली स्थापित करने की कोशिश की जा रही है, जिसमें जी20 देशों में काम कर रहे अध्ययनकर्ता व संस्थानों को जोड़ा जाएगा, सूचनाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन मिलेगा और क्षमताएं बढ़ाने वाली गतिविधियां हो सकेंगी।

निजी क्षेत्र में महिला नेतृत्व बढ़ाने की पहल
‘महिलाओं के आर्थिक प्रतिनिधित्व का सशक्तिकरण और प्रगति’ यानी ईएम-पावर के जरिए अध्यक्ष भारत ने पहली बार विशेष बैठकों की शुरुआत की है। जी20 ईएम-पावर एक ऐसा गठबंधन है, जिसका लक्ष्य महिलाओं के लिए काम करना है। यह खास तौर पर निजी क्षेत्र में महिलाओं के नेतृत्व और सशक्तिकरण को बढ़ाने का प्रयास करेगा।

डिजिटल होती दुनिया के लिए जरूरी शुरुआत
‘जी20 डिजिटल अर्थव्यवस्था – मंत्रियों की बैठक’ का भी आयोजन भारत द्वारा इस बार किया गया। इसमें यह सहमति बनी कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का गठन होना चाहिए। साथ ही एक और अहम सहमति डिजिटल अर्थव्यवस्था में साइबर सुरक्षा व डिजिटल कौशल पर भी बनी है।

महामारियों के खिलाफ साझी तैयारी
जी-20 के अध्यक्ष के रूप में महामारियों के खिलाफ साझी तैयारी में भारत की भूमिका अहम रही। बतौर अध्यक्ष भारत ने जी-20 मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार राउंड टेबल (जी-20 सीसार) की बैठक की भी शुरुआत की है। इसमें स्वास्थ्य से जुड़े कई विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। बीमारियों पर नियंत्रण और महामारी के खिलाफ बेहतर तैयारी के लिए समान स्वास्थ्य अवसरों और वैज्ञानिक जानकारियों तक सभी की पहुंच बढ़ाने के वैश्विक प्रयासों को साथ लाने पर बातचीत हुई। यही नहीं, विज्ञान और तकनीक में विविधता, औचित्य, समावेशन और सरल उपयोग को बढ़ावा देने और विज्ञान व तकनीक नीति पर वैश्विक वार्ता को समावेशी और निरंतर कार्रवाई आधारित बनाने के लिए संस्थागत व्यवस्था जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।

सुरक्षा परिषद और एमडीबी में सुधार
अध्यक्ष के तौर पर भारत ने प्रयास किया है कि बहुपक्षों को बढ़ावा मिले। इसी सोच के साथ देश ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और एमडीबी जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधारों पर बातचीत फिर से शुरू किया। यह भारत की ही अध्यक्षता थी, जिसमें एमबीडी को सशक्त बनाने और उनकी कार्यकुशलता को 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुरूप सुधारने पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति समूह भी स्थापित किया गया।