जीएसटी लागू हुआ तो बढ़ेगी कॉन्ट्रैक्टर्स की परेशानी

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कोटा कान्ट्रेक्टर एसोसिएशन का पुरानी दरों से ही टैक्स काटने का सुझाव

कोटा। कोटा कान्ट्रेक्टर एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जीएसटी लागू होने से संवेदकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके प्रावधानों पर पुनर्विचार कर स्पष्ट किया जाए। बुधवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील गर्ग, उपाध्यक्ष एवं जीएसटी संघर्ष समिति के संयोजक महेंद्र शर्मा ने कहा कि अभी तक अधिकांश कार्यों पर वेट में कंपोजिट स्कीम का प्रावधान है, जिसके तहत विभाग संवोदकों से 0.75 से लेकर 3 प्रतिशत तक टेक्स हमारे बिलों में से काट लेता है।

उन्होंने बताया कि जीएसटी के प्रावधानों में कर की दर 3 प्रतिशत से बढ़ा कर 18 प्रतिशत कर दी है। इसे तर्क संगत नहीं माना जा सकता। संवेदक इस प्रकार17 प्रतिशत के अंतर को कहां से लाएगा। जबकि सरकार हमारा मुनाफा 10 प्रतिशत ही मानती है। ऐसे में अगर इसका समाधान नहीं हुआ तो संवेदकों के सामने जीने मरने का सवाल खड़ा हो जाएगा।

उपाध्यक्ष महेंद्र शर्मा,ओम प्रकाश मालवीय , राकेश गुप्ता आदि पदाधिकारियों ने एक स्वर से कहा कि जीएसटी के प्रावधानों में अत्यधिक जटिलताऐं हैं, जो कि ईमानदारी से कर देता है, उन व्यापारियों को परेशानी में डालेगा। संवेदक जो कि बिना रात व दिन देखे अपनी पूंजी को दांव पर लगा कर सरकारी काम करते हैं, भुगतान का इंतजार करते रहते हैं।

उन्होंने बताया कि ज्यादा परेशानी उन संवेदकों को आ रही है , जिन्होंने जीएसटी कानून लागू होने से पूर्व वेट के प्रावधानों के हिसाब से टेण्डर ले रखे हैं। सुनील गर्ग एवं पदाधिकारियों ने सुझाव दिए कि जीएसटी अप्रत्यक्ष कर है, इसलिए इसका वहन सर्विस पाने वाले को करना चाहिए। इसका कानून में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।सर्विस टैक्स की धारा 12 ए के तहत जिसका नोटिफिकेशन 25/2012 के तहत 1.03.2015 से पूर्व के टेण्डरों पर मिली छूट को जारी रखा जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि 1 मार्च 2015 के बाद एएवं जीएसटी लागू होने के बीच में हुए टेण्डरों पर वेट के नियमानुसार पुराने हिसाब से ही कटौती की जानी चाहिए। अभी वेट में कम्पोजिट स्कीम का प्रावधान है,एक निश्चित प्रतिशत हामारे बिलों में से काटा जाता है,जिससे संवेदकों को ज्यादा परेशानी नहीं होती। जीएसटी बिल में भी ऐसे ही प्रावधान होने चाहिए।

कोटा के विधायकों संदीप शर्मा,विद्या शंकर नंदवाना तथा प्रहलाद गुंजल और चंद्रकांता मेघवाल ने भी संवेदकों की मांग का समर्थन करते हुए सरकार को पत्र लिखा है। गर्ग ने यह भी कहा कि पूरे देश में जीएसटी कानून से व्यापार के सुगम होने की संभावना है।जिसका स्वागत करते हैं लेकिन संवेदकों की अपनी चिंता है, जिससे केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्य में जीएसटी देख रहे मंत्री राजपाल सिंह शेखावत को अवगत करा दिया है।