जीएसटी के बहाने कचौरी के दाम बढ़ाने का मौका

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कोटा। वर्षों से टैक्स चोरी करते आ रहे कचौरी और नमकीन विक्रेताओं को जीएसटी के बहाने एक बार फिर दाम बढ़ाने का मौका मिल गया है। इन्होंने दाल बेसन और तेल के दाम घटने पर भी कीमत नहीं घटाई । अब जीएसटी लागू होते ही कहने लगे हैं दाम बढ़ाएंगे।

जीएसटी लागू होने से कचौरी का स्वाद महंगा हो सकता है। केन्द्र सरकार ने कचौरी में उपयोग होने वाली सामग्री पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। कचौरी बनाने में काम आने वाले नौ आइटमों में पांच पर पहली बार टैक्स लगा है और अन्य चार सामानों पर टैक्स बढ़ गया है। 

दुकानदारों का मानना है कि कचौरी का स्वाद बढ़ाने वाले सभी आइटमों पर असर होने से इसकी लागत बढ़ेगी। ऐसे में मार्जिन कम होगा। उसकी भरपाई के लिए कचौरी के दाम बढ़ाए जा सकते हैं।

कोटा में करीब 1500 से ज्यादा दुकानों और इतने ही ठेलों पर हर रोज 6 लाख से ज्यादा कचौरियां बिकती हैं। ऐसे में कीमत बढऩे से शहरवासियों की जेब पर रोज लाखों का फटका लगना तय है। 

जीएसटी की पांच फीसदी की स्लैब में कई मसाले और सामान कचौरी बनाने में मैदा, बेसन, तेल, उदड़मोगर, सौंफ, धनिया, कालीमिर्च, लौंग व हींग का उपयोग होता है। इसमें मैदा, बेसन, दाल व सौंफ पर पहले टैक्स नहीं था। अब ब्रांडेड प्रोडक्ट पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया है। 

अग्रसेन बाजार व्यापार संघ के महेन्द्र कांकरिया का कहना है कि आजकल तो मैदा, बेसन और दाल मिल से तैयार होकर कट्टों में आते हैं। इन पर ब्रांड का नाम होता है। इनको ब्रांडेंड माना जाएगा तो जीएसटी देना पड़ेगा।

हर सामान ही ब्रांडेड है, लागत भी बढ़ेगी
कचौरी बनाने में जो भी सामान आता है, वह अधिकांश ब्रांड के नाम से ही होता है। एेसे में मैदा, दाल, मसालों और तेल पर पांच फीसदी टैक्स लगेगा। जिससे कचौरी की लागत तीस से चालीस पैसा बढ़ जाएगी। यह भार ग्राहकों पर ही पड़ेगा। 
राजेन्द्र जैन,  नमकीन एंड स्वीट्स विक्रेता