चीनी निर्यातक एवं एथनॉल निर्माता मिलों के लिए बढ़ेगा बिक्री कोटा

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नई दिल्ली। चीनी निर्यात करने वाली और एथनॉल बनाने वाली मिलों को सरकार प्रोत्साहन देगी। खाद्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि मिलों को अतिरिक्त चीनी से एथनॉल बनाने की अनुमति होगी। इससे कमाई बढ़ेगी और किसानों का बकाया भुगतान करने में आसानी होगी। 

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, अभी चीनी मिलों के लिए घरेलू बाजार में बिक्री का 21 लाख टन का मासिक कोटा तय है। जो मिलें निर्यात करती हैं या एथनॉल बनाने में अपनी चीनी का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें अतिरिक्त कोटा दिया जाएगा। इससे मिलों को घरेलू बाजार में ज्यादा चीनी बेचने का मौका मिलेगा।

हालांकि, इस बात से यह संकेत मिलता है कि अगले चीनी सत्र (अक्तूबर-सितंबर) से सरकार निर्यात सब्सिडी खत्म कर सकती है। अगले महीने समाप्त होने वाले मौजूदा चीनी सत्र में मिलों को 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा मिला था, जबकि उन्हें 70 लाख टन का अनुबंध प्राप्त हुआ है। इसमें से 55 लाख टन चीनी अब तक निर्यात की जा चुकी है। 2017-18 में 62 लाख टन, 2018-19 में 38 लाख टन और 2019-20 में 59.60 लाख टन चीनी निर्यात हुआ था।

एथनॉल बनाने वाली चीनी मिलों को न सिर्फ अतिरिक्त चीनी खपाने का मौका मिलता है, बल्कि मोटी कमाई भी होती है। सरप्लस चीनी का इस्तेमाल होने से बाजार में कीमतें भी प्रतिस्पर्धी बनी रहती हैं। पिछले दो चीनी सत्र में मिलों को एथनॉल से 22 हजार करोड़ की कमाई हुई। 2020-21 में भी 20 लाख टन चीनी एथनॉल बनाने के लिए दी गई और 15 हजार करोड़ की कमाई हुई। अगले सत्र में 35 लाख टन चीनी एथनॉल बनाने में खपत होगी। 

गन्ना किसानों को समय पर भुगतान संभव
चीनी मिलों की एथनॉल से कमाई बढ़ने पर किसानों का बकाया भुगतान करना आसान हो जाएगा। मिलों को 2019-20 सत्र के लिए किसानों को 75,845 करोड़ का भुगतान करना था, जिसमें से 75,703 करोड़ दिए जा चुके हैं। 2020-21 में रिकॉड 90,872 करोड़ रुपये का गन्ना चीनी मिलों ने किसानों से खरीदा, जिसमें से अब तक 81,963 करोड़ का भुगतान हो चुका है।v16 अगस्त, 2021 तक किसानों का 8,909 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। वैश्विक बाजार में चीनी के दाम काफी बढ़ गए हैं, जिससे निर्यातकों के पास अगले सत्र में भी 60-70 लाख टन चीनी निर्यात का अवसर है।