कोटा विकास प्राधिकरण संपत्तियों को हड़पने का षड्यंत्र: भरत सिंह

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file photo

संभाग के किसान प्रतिनिधियों एवं पर्यावरण संगठनों की बैठक आयोजित

कोटा। Kota Development Authority: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं विधायक भरत सिंह ने कहा है कि कोटा विकास प्राधिकरण बिल संपत्तियों को हड़पने का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। इस भ्रष्टाचार के खेल में सभी दलों के लोग शामिल हैं। मेरी प्रतिबद्धता है कि अंतिम दम तक इस बिल को वापस लेने के लिए संघर्ष करूंगा।

किसान प्रतिनिधियों का दायित्व है कि कोटा शहर एवं गांव के लोगों को इस काले कानून की असलियत समझाएं और जन आंदोलन खड़ा करें। भरत सिंह ने कहा कि जिस प्रकार पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीणा ने इस पर विरोध जताया है अन्य जनप्रतिनिधियों को भी इसका विरोध जताना चाहिए।

मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से व्यक्तिगत मिलकर कह दिया है कि इस विधेयक का मसौदा भू माफियाओं ने तैयार किया है। उन्होंने बिल की कॉपी लोगों को बताते हुए कहा कि विधानसभा में इस काले कानून पर 1 मिनट भी चर्चा नहीं हुई और इसे पास कर दिया गया।

विधायक भरत सिंह ने कहा कि इस काले कानून के कारण तालाब, पहाड़, नदियां खेत- खलियान सब समाप्त कर दिए जाएंगे और इसकी शिकायत के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा। मैं राजनीतिक व्यक्ति होते हुए भी मेरी पार्टी के पाप में भागीदार नहीं बन सकता।

हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने कहा कि कोटा विकास प्राधिकरण का बिल गांधीजी के ग्राम स्वराज्य की अवधारणा के विरुद्ध है। इस बिल से किसानों की खेती की जमीनें छीन ली जाएंगी और उन्हें सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया जाएगा।

किसान यूनियन इस विधेयक के विरुद्ध जनमत बनाने के लिए गांव-गांव में अलग जगाएगी। सरकार को विवश होकर कोटा विकास प्राधिकरण का बिल रद्द करना होगा। घरों में विभिन्न संस्थाएं और संगठन इस बिल के खिलाफ हैं और वे भी अपने स्तर पर व्यापक जन जागरण करते हुए सरकार को विधायक वापस लेने के लिए कहेंगे।

बैठक में किसान सभा के नेता दुलीचंद बोरदा, बूंदी जिला परिषद के सदस्य मुरली मीणा केशवरायपाटन के एडवोकेट अरविंद भूतिया, किसान नेता संतोख सिंह, गौ संरक्षण समिति से जुड़े गायत्री परिवार के खेमराज यादव, भारतीय सांस्कृतिक निधि से गौरव चौरसिया, अनिल जैन, राम प्रसाद सोनी आदि ने कोटा विकास प्राधिकरण बिल को वापस लेने की मांग की है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को व्यक्तिगत रूप से मिलकर अवगत कराया जाएगा।

चंबल संसद के समन्वयक बृजेश विजयवर्गीय ने भी इस बिल को लेकर कहा कि खेत -खलियान ही नहीं वन संपदा भी अनावश्यक विकास की भेंट चढ़ जाएगी, जिसका असर अंततोगत्वा आम जनता पर ही पड़ने वाला है। जिसके विकास की बातें कहीं जा रही हैं।

सभी राजनीतिक दलों को बिना दलगत राजनीति के इस बिल का विरोध करना चाहिए। बैठक में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं साहित्यकार अंबिकादत्त चतुर्वेदी ,पूर्व वरिष्ठ नगर नियोजक एसएन गुप्ता एवं इंजीनियर रवि जैन के अलावा आर्किटेक्ट गौरव चौरसिया, पर्यावरण प्रेमी राजेंद्र जैन नागरिक चेतना मंच के संयोजक शशि गौतम एवं अन्य कई लोगों ने विचार व्यक्त करते हुए एक्शन प्लान तैयार करने पर जोर दिया।