कांग्रेस की कवायद राजस्थान में क्या लाएगी नतीजा?

55

-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की दृष्टि से अगले दो दिन काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं जिनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच के सियासी विवाद पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित आलाकमान के अन्य प्रमुख नेताओं के बीच अब लगभग अंतिम दौर की बातचीत होनी है। क्योंकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव सिर पर है और केन्द्रीय नेतृत्व के लिए इस कलह को झेल पाना मुश्किल हो रहा है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे की मध्यस्थता में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच विवाद पर विभिन्न दौर की बातचीत के बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से भी इन दोनों नेताओं की बातचीत को प्रस्तावित माना जा रहा है। हालांकि अभी इस बारे में अंतिम निर्णय नहीं किया गया है, पर बहुत जल्द संभव है कि मलिकार्जुन खड़गे की मध्यस्थता के बावजूद राजस्थान के दोनों नेता श्रीमती गांधी के दखल को ज्यादा जरूरी और सर्वोपरि माने।

इसके अलावा इस मसले पर संचार माध्यमों के जरिए पूर्व कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से विचार-विमर्श हो सकता है जो अभी अमेरिका में कैलिफोर्निया गए हुए हैं। पहले यह बैठक 27 मई को होने वाली थी, लेकिन बाद में किसी वजह से इस बैठक को स्थगित करना पड़ा। चूंकि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का पहले से ही इस माह के अंतिम दिनों में कैलिफोर्निया सहित अमेरिका के अन्य कुछ शहरों में व्याख्यान देने और अन्य कार्यक्रमों में शिरकत करना तय था।

वे जून माह के पहले सप्ताह से पूर्व स्वदेश वापस लौटने वाले नहीं हैं। इसलिए आज और कल में नई दिल्ली में होने वाली बातचीत में सीधे राहुल गांधी तो उपस्थित नहीं रहेंगे, लेकिन उनके प्रतिनिधि के रूप में संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल अवश्य हर बैठक में उपस्थिति दर्ज करवा सकते हैं। जिन्हें राहुल गांधी का काफी विश्वस्त माना जाता है।

इसके अलावा इन दो दिनों में होने वाली यह बैठक इस दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है कि गहलोत सहित अन्य कांग्रेस के नेताओं की ओर से श्रीमती राजे एवं उनकी सरकार के मंत्रियों पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की अब तक जांच नहीं करवाई जाने के मसले को लेकर पार्टी के असंतुष्ट नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों पर फैसला करने के लिए पार्टी को 30 मई तक का अल्टीमेटम दिया गया है।

उसकी अवधि कल समाप्त होने वाली है। इसलिए पार्टी आलाकमान भी इस बात को लेकर काफी गंभीर है कि सियासी और संगठन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पिछले लगातार चार सालों से प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभालने के लिए छटपटा रहे पूर्व उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके सचिन पायलट के बीच जो भी मतभेद हैं, उनको केंद्रीय नेताओं की मध्यस्थता के साथ हल कर लिया जाए।

ताकि उसके बाद पार्टी पूरी तरह से अपना फोकस दिसम्बर माह के अंतिम दिनों में होने वाले राजस्थान विधानसभा के महत्वपूर्ण चुनाव पर केंद्रित कर सके।
अभी हो यह रहा है कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में शानदार सफलता के मिलने के बावजूद पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जिसमें खासतौर से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे राजस्थान में चुनाव अभियान को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।

जबकि इसके विपरीत देश के पांच राज्यों के साथ जिन अन्य दो ओर प्रमुख राज्यों छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं, वहां पार्टी के भीतर ऐसा कोई आंतरिक संघर्ष नहीं होने के कारण कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाने की सोच पूरी तरह से स्पष्ट है। मध्यप्रदेश में जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़कर चले जाने और और जनता के बीच अपना वजूद लगभग खोते जाने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अब हाशिये पर चले जाने के बाद स्थिति स्पष्ट है कि वहां अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी के चुनाव अभियान की मुख्य रूप से कमान मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ही संभालेंगे।

इसी तरह छत्तीसगढ़ की कमान वहां के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों में ही होगी। अगले विधानसभा चुनाव के बाद यदि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस सत्ता में आती है तो यह दोनों ही नेता अपने-अपने राज्यों के मुख्यमंत्री बनेंगे।

लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पिछले चार सालों से चल रही अनबन अब अपने चरम पर हैं और अभी भी यह स्थिति स्पष्ट नहीं है कि अगले विधानसभा चुनाव के बाद यदि प्रदेश में फिर से सत्ता मिलने की स्थिति बनती है तो कमान इन दोनों में से किस नेता के हाथों में होगी?