कमजोर मॉनसून और चुनाव से ऑटो कंपनियों की हवा खराब

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नई दिल्ली। इंडियन मार्केट में पैसेंजर वीइकल्स (कारें) और टू-वीलर्स की सेल्स ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष में सिंगल डिजिट में रहने का अनुमान है। इसकी वजह लोकसभा चुनाव से पहले बनी अनिश्चितता की स्थिति और हायर सेफ्टी और एमिशन नॉर्म्स हो सकते हैं। इस साल मॉनसून सीजन में औसत से कम बारिश होने के पूर्वानुमान से कंज्यूमर डिमांड प्रभावित होने के आसार बने हैं।

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने वित्त वर्ष 2020 में पैसेंजर वीइकल्स की सेल्स ग्रोथ 3-5% और 5-7% रहने का अनुमान दिया है। हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में हो रहे सरकारी खर्च और अगले साल BS-VI एमिशन नॉर्म्स लागू होने से पहले वाली खरीदारी से मौजूदा वित्त वर्ष में कमर्शल वीइकल्स की सेल्स ग्रोथ 10-12% रह सकती है।

सियाम के प्रेजिडेंट राजन वढेरा ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने हाल के महीनों में दो बार में रेपो रेट 25-25 बेसिस पॉइंट्स घटाए हैं। इससे आने वाली तिमाही में ग्राहकों की खरीदारी में बढ़ोतरी हो सकती है। बीएस-VI एमिशन नॉर्म्स लागू होने से पहले गाड़ियों की कुछ खरीदारी होने की उम्मीद है। नए एमिशन नॉर्म्स लागू होने से गाड़ियों की कीमत 10 से 15 पर्सेंट तक बढ़ सकती है। राजनीतिक मोर्चे पर अनिश्चितता और कमजोर मॉनसून चुनौती खड़ी कर सकते हैं।’

पहले हो सकती है खरीदारी
ईवाई इंडिया के पार्टनर राकेश बत्रा कहते हैं, ‘ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से BS-IV एमिशन नॉर्म्स वाली गाड़ियों पर इंसेंटिव दिए जाने पर लोग पहले खरीदारी कर सकते हैं, जिससे वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में पैसेंजर वीइकल्स सेगमेंट (PV) में रिकवरी हो सकती है। ब्याज दर में कमी होने से भी सेल्स वॉल्यूम में बढ़ोतरी हो सकती है।’

वित्त वर्ष में कारों की सेल्स पांच साल के निचले स्तर पर
पिछले वित्त वर्ष में बाजार में नकदी की कमी होने, इंश्योरेंस कॉस्ट बढ़ने और चुनाव से पहले कंज्यूमर सेंटीमेंट बिगड़ने के चलते कारों की सेल्स ग्रोथ सुस्ती के साथ पांच साल के निचले स्तर पर आ गई थी। SIAM के डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019 में पैसेंजर वीइकल की सेल्स 2.7% बढ़कर 3,377,436 यूनिट हो गई थी।

इसके मुकाबले कमर्शल वीइकल्स की सेल्स 17.55% बढ़कर पहली बार लगभग 10 लाख यूनिट्स को पार कर 10,07,319 पर पहुंच गई। टू-वीलर्स की सेल्स भी सुस्ती के साथ 4.86% बढ़कर 21,181,390 यूनिट्स पर पहुंच गई। शहरी बाजारों में सुस्ती के चलते पिछले वित्त वर्ष में स्कूटर्स की सेल्स 0.27% गिरकर 6,701,469 यूनिट्स पर आ गई। इसके मुकाबले ग्रामीण इलाकों में अच्छी मांग रहने से मोटरसाइकल की सेल्स 7.76% बढ़कर 13,599,678 यूनिट हो गई थी।

सिंगल डिजिट में ही सही, ग्रोथ हासिल होना पॉजिटिव
वढेरा ने बताया, ‘इंश्योरेंस कॉस्ट बढ़ने से कॉस्ट 10% बढ़ी थी, जिसका टू-वीलर इंडस्ट्री पर नेगेटिव असर हुआ। पैसेंजर वीइकल सेगमेंट में भी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कमोडिटी कॉस्ट, फ्यूल प्राइस, लिक्विडिटी में बढ़ोतरी, शहरी इलाकों में शेयर्ड मोबिलिटी सर्विसेज की लोकप्रियता बढ़ने के चलते डिमांड घटने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन सबके बावजूद सिंगल डिजिट में ही सही, वॉल्यूम ग्रोथ हासिल होना पॉजिटिव चीज है।’