कच्चे तेल के लिए यूएई को पहला भुगतान रुपये में, घरेलू मुद्रा को वैश्विक बनाने की तैयारी

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    नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से खरीदे गए कच्चे तेल के लिए रुपये में पहला भुगतान किया है। साथ ही, भारत ने अपनी मुद्रा को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। अधिकारियों ने कहा, भारत अन्य तेल आपूर्तिकर्ता देशों के साथ भी इसी तरह रुपये में क्रूड खरीदने की कोशिश में लगा है लेकिन, इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करना एक प्रक्रिया है और इसके लिए कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है।

    भारत ने इस दिशा में जुलाई में यूएई के साथ रुपये में भुगतान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) से 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद का भुगतान भारतीय रुपये में किया है। इसके अलावा, रूस से खरीदे गए कच्चे तेल के कुछ हिस्से का भी भुगतान रुपये में किया गया है।

    भारत कच्चे तेल की 85 फीसदी से अधिक जरूरतें आयात के जरिये पूरा करता है। इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर डॉलर में भुगतान करना होता है। लेकिन, भारत ने पिछले साल से तेल की खरीद का भुगतान डॉलर के बजाय रुपये में करने की व्यवस्था शुरू की है। इस दिशा में आरबीआई ने भी जरूरी कदम उठाए हैं।

    एक अधिकारी ने कहा, हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि तेल खरीद का भुगतान रुपये में करने से लागत न बढ़े। साथ ही, इसका व्यापार पर किसी भी तरह से नुकसान न पड़े। उन्होंने कहा, जहां रकम अधिक नहीं है, वहां रुपये में भुगतान में ज्यादा समस्या नहीं होती है। लेकिन, जब कच्चे तेल का हर जहाज लाखों डॉलर की कीमत का हो तो समस्याएं होती हैं। भारत व्यापक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए स्थिति से निपट रहा है।

    जीडीपी पर वैश्विक झटकों का कम होगा असर
    अधिकारी ने कहा, रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से डॉलर की मांग कम करने में मदद मिलेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक मौद्रिक झटकों का कम असर होगा। पिछले सप्ताह संसद में पेश संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय रुपये में कच्चे तेल का भुगतान लेने की दिशा में प्रगति अच्छी नहीं है। इस पर अधिकारियों ने यह माना कि 2022-23 में हालात ऐसे ही रहे हैं, लेकिन इस साल तेल का कुछ कारोबार रुपये में हुआ है।