Basmati Rice: 11 महीने में बासमती निर्यात 22 फीसदी बढ़कर 5.2 अरब डॉलर का रहा

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नई दिल्ली। Basmati Rice Exports: बासमती चावल का निर्यात अप्रैल से फरवरी 2024 में करीब 22 फीसदी बढ़कर 5.2 अरब डॉलर का हो गया। पश्चिम एशिया के देशों से प्रमुख तौर पर निर्यात बढ़ने के कारण चावल की इस किस्म की मांग बढ़ी।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात की मात्रा 14 फीसदी बढ़कर 46.79 लाख टन हो गई जबकि एक साल पहले की अवधि में 41 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, ‘हमने इस साल (बासमती चावल के निर्यात) मूल्य और गुणवत्ता में अच्छी वृद्धि देखी है जबकि लाल सागर में व्यवधान और बासमती चावल का तय न्यूनतम निर्यात मूल्य था।’ सरकार ने जुलाई में घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

इसके एक महीने बाद बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय कर दिया गया था ताकि बासमती चावल की आड़ में सफेद गैर बासमती चावल के आशंकित ‘गैरकानूनी’ निर्यात को रोका जा सके। न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करने को फ्लोर प्राइस के तौर भी जाना जाता है।

देश से कुल निर्यात किए जाने वाले चावल के निर्यात में गैर बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25-30 फीसदी है। विश्व में भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बासमती चावल के निर्यात के क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान है। लिहाजा फ्लोर प्राइस तय किए जाने के बाद आशंका यह जताई जा रही थी कि पाकिस्तान का बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कब्जा कर सकता है।

इस बारे में सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत का निर्यात प्रभावित नहीं हुआ। एक अन्य सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘पाकिस्तान का बासमती चावल का निर्यात बढ़ने के बावजूद हमारा निर्यात प्रभावित नहीं हुआ है।’

दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हमारे सबसे बड़े मार्केट में पश्चिम एशिया, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी), यूरोप, अमेरिका आदि हैं। लाल सागर संकट के कारण यूरोप को होने वाला निर्यात प्रभावित हुआ है।’

भारत का बासमती चावल का तीन-चौथाई से अधिक निर्यात पूरे पश्चिम एशिया के देशों को होता है। भारत के बासमती चावल के पांच शीर्ष गंतव्य – ईरान, इराक, सऊदी अरब, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने आंकड़ों का संकलन किया है। अप्रैल से दिसंबर के दौरान निर्यात का गंतव्य बढ़कर 149 देशों को हो गया जबकि यह बीते साल की समान अवधि में 140 थे।