कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलता तो नहीं जाती नौकरियांः CII

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी और ‘लॉकडाउन’ के चलते बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी से निकाले जाने के बीच देश के सबसे बड़े उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का कहना है कि केंद्र सरकार अगर सस्ती दरों पर कंपनियों को कर्ज देती तो लोगों की नौकरियां सुरक्षित रहतीं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

उसका यह भी कहना है कि इस पूरे संकट में कृषि क्षेत्र में चीजें बेहतर नजर आईं और इसने एक भरोसा दिया है। इसी संदर्भ में सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने पांच सवालों और उनके जवाब दिए हैं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान प्रोत्साहन और सुधार का एक बेहतर मेल है। निश्चित रूप से इसका न केवल अल्पकाल में बल्कि मध्यम से दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

बनर्जी ने कहा कि यह सही है कि आर्थिक पैकेज के तहत जिन सुधारों की घोषणा की गई है, उसमें से ज्यादातर का प्रभाव मध्यम से दीर्घावधि में पड़ेगा। कुछ अल्पकालीन उपायों की भी घोषणा की गई है, जैसे छोटे उद्योग के लिए कर्ज की गारंटी (3 लाख करोड़ रुपये का बिना किसी गारंटी के कर्ज सुलभ करना)। इससे कोविड-19 संकट से सर्वाधिक प्रभावित MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को आसानी से कर्ज सुलभ होगा। इससे निवेश बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा और मांग को गति मिलेगी। अंतत: अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

उन्होंने कहा कि सीआईआई ने सरकार को वेतन समर्थन कार्यक्रम का सुझाव दिया था, जिसके तहत कंपनियों को 3 से 6 महीने के लिए सस्ती दर पर कर्ज लेने की सुविधा मिलती, ताकि वे अपने कामगारों को समय पर वेतन का भुगतान कर पाते, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसा होता तो संभवत: नौकरियां कुछ हद तक सुरक्षित रहतीं।

महानिदेशक ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां संकट के दौरान चीजें बेहतर नजर आईं और इसने एक भरोसा दिया है। वित्त मंत्री ने अपने आर्थिक पैकेज में कृषि बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए बेहतर काम किया है। क्षेत्र के लिए व्यापक बदलाव (आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि जिंसों को हटाने और किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी आदि) की घोषणा की गई है, जिससे कृषि उत्पादों के विपणन की बाधाएं दूर होंगी।