इलाहाबाद हाई कोर्ट से नहीं मिली पावर कंपनियों को अंतरिम राहत

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नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को आरबीआई के सर्कुलर से प्राइवेट पावर कंपनियों को कोई अंतरिम राहत देने से मना कर दिया। इस सर्कुलर के जरिए आरबीआई ने बैड लोन से निपटने के नियमों को कड़ा कर दिया था। सोमवार ही स्ट्रेस्ड एसेट्स के लिए रिजॉल्यूशन प्लान को अंतिम रूप देने के लिए आखिरी दिन था। इन एसेट्स की अब कुर्की हो सकती है।

कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो आरबीआई को निर्देश देने के लिए एक स्पेशल प्रावधान का सहारा ले सकती है, जिसका उपयोग पहले कभी नहीं किया गया है।हाई कोर्ट ने डिफॉल्ट करने वाले पावर प्रोजेक्ट्स के खिलाफ लेंडर्स की ओर से इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स का आदेश दिया है।

एग्जिक्यूटिव्स ने कहा कि आरबीआई ने 180 दिनों की जो डेडलाइन दी थी, वह सोमवार को बीत गई, लिहाजा इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स शुरू होंगी, लेकिन बैंकों को अपने बकाया कर्ज से कम पर संतोष करना पड़ सकता है क्योंकि इन स्ट्रेस्ड प्रोजेक्ट्स का वैल्यूएशन काफी कम है।

बैंकरों ने कहा कि डिफॉल्टरों के खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स शुरू करने के लिए उनके पास 15 दिन हैं और मामले को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में एडमिट करने में करीब दो महीने लगते हैं, लिहाजा केस हल करने के लिए उनके पास एक और विंडो है।

12 फरवरी को जारी आरबीआई सर्कुलर में कहा गया था कि 180 दिनों के भीतर डिफॉल्टर्स को एनसीएलटी में ले जाना होगा। इस तरह डेडलाइन 27 अगस्त की थी। कंपनियों और सरकार ने इस डेडलाइन में रियायत दिए जाने की मांग की थी।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आएगा। आरबीआई चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट विभिन्न उच्च न्यायालयों में इस मामले पर दाखिल सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर ले। बैंकों को उम्मीद है कि कम से कम सात कमीशंड पावर प्लांट्स का मामला सुलझ जाएगा। इनकी वैल्यू 17000 करोड़ रुपये है।

इन प्लांट्स के लिए नए प्रमोटर सामने आ गए हैं। इन प्रोजेक्ट्स के लिए आई बोलियों के मुताबिक बैंकों को अपने बकाया के 50 पर्सेंट हिस्से से हाथ धोना होगा। करीब आठ पावर प्लांट्स के मामले एनसीएलटी में एडमिट किए गए हैं, जबकि 15 अन्य के खिलाफ इस डेडलाइन के बाद इनसॉल्वेंसी प्रोसेस शुरू करना होगा।

केएसके एनर्जी, अवंता ग्रुप, जीएमआर एनर्जी और जयप्रकाश पावर वेंचर्स सहित कई कंपनियों के प्लांट्स पर पावर कंपनियों और फंड्स की नजर है। संभावित खरीदारों में अडानी पावर, वेदांता पीएलसी, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, रिसर्जेंट पावर और इडलवाइज एआरसी हैं, जिनकी ऐवरेज बिड्स प्रोजेक्ट कॉस्ट के 50 पर्सेंट के बराबर हैं। पावर सेक्टर में बैड लोन 1.20 लाख करोड़ रुपये का होने का अनुमान है। यह कर्ज करीब 60 कंपनियों पर है।