इन्फोसिस में घोटाला, 6 साल में पहली बार शेयरों में बड़ी गिरावट

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मुंबई। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस में घोटाले के आरोप की मार कंपनी के शेयरों पर दिखाई दे रही है। मंगलवार को इन्फोसिस के शेयरों में 6 साल बाद पहली बार 14% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। दरअसल, कंपनी के पूर्व सीईओ विशाल सिक्का तथा फाउंडर नारायणमूर्ति के बीच विवाद किसी तरह शांत होने के बाद कंपनी एक बार फिर कंपनी मुसीबत में है।

कंपनी के कुछ अज्ञात कर्मचारियों (व्हिस्लब्लोअर) ने आरोप लगाया है कि इन्फोसिस अपनी आय और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए अपने बही-खातों में हेरफेर कर रही है। हालांकि कंपनी ने कहा है कि उसने शिकायत को ऑडिट कमिटी के हवाले कर दिया है, जो इसपर विचार करेगी।

इस बीच मंगलवार को इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि कंपनी की ऑडिट समिति मुख्य कार्यकारी अधिकारी सलिल पारेख और मुख्य वित्त अधिकारी निलांजन रॉय के खिलाफ व्हिसिलब्लोअर समूह द्वारा लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच करेगी। हालांकि निवेशकों में कंपनी की सेहत को लेकर चिंता पैदा हो गई है, जिसका असर शेयरों के कारोबार पर दिखाई दे रहा है।

शेयर बाजार के शुरुआती कारोबार में कंपनी का शेयर 14 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया था। बीते कारोबारी सत्र यानी शुक्रवार को शेयर 767.75 पर बंद हुआ था, जो आज 14 पर्सेंट से ज्यादा की गिरावट के साथ 645 रुपये के लो तक पहुंच गया था। इससे पहले 12 अप्रैल, 2013 को कंपनी के शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई थी। उसक दिन शेयर 21.33 पर्सेंट टूटा था। इस बिकवाली के चलते कंपनी का मार्केट कैप 44,000 करोड़ रुपये घट गया।

जनवरी 2000 से लेकर अब तक यह 16वीं बार है, जब कंपनी का शेयर दोहरे अंक प्रतिशत में नीचे आया है। सीएमटी, एमएसटीए कंसल्टंट ऐनालिस्ट मिलन वैष्णव ने कहा, ‘ट्रेडर्स को स्टॉक से बाहर निक जाना चाहिए ताकि शॉर्ट टर्म कमाई के लिए टीसीएस जैसे शेयरों में निवेश किया जा सके। हालांकि, एसआईरपी निवेशकों और लंबी अवधि के निवेशकों को इसमें बने रहना चाहिए, क्योंकि जल्द वैल्यूएशन में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।’