आईपीओ से कमाया है मुनाफा तो भरना होगा टैक्स, जानिए कितना है टैक्स और क्या है गणित

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नई दिल्ली। निवेशकों ने इस साल प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में निवेश कर मोटा मुनाफा बनाया है। टाटा टेक्नोलॉजीज ने लिस्टिंग पर निवेशकों को 140 से 180% तक और इरेडा ने 100% तक मुनाफा दिया। इस लाभ को भुनाने के लिए भारी संख्या में निवेशकों ने लिस्टिंग के दिन या उसके कुछ दिनों बाद मुनाफे पर अपने शेयर बेचे होंगे।

कर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप लिस्टिंग के दिन या उसके कुछ दिनों बाद मुनाफा कमाने के बाद शेयर बेच देते हैं तो उस पर कर देनदारी बनती है। आईपीओ में मिले शेयरों की बिक्री पर भी कर उसी तरह लगता है, जैसे किसी सूचीबद्ध शेयर से होने वाली कमाई पर।

सूचीबद्ध होने के 12 महीने यानी एक साल के भीतर आईपीओ में आवंटित शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाया है तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) टैक्स देना होगा। यह कुल मुनाफे का 15 फीसदी होगा। इस पर 4 फीसदी उपकर भी देना होगा। वहीं, आईपीओ के सूचीबद्ध होने के 12 महीने बाद शेयर बेचकर मुनाफा कमाने की स्थिति में 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) टैक्स भरना पड़ता है। एक लाख रुपये से ज्यादा मुनाफे पर ही एलटीसीजी टैक्स लगता है।

ऐसे समझें पूरा गणित
आपने 600 रुपये के भाव पर आईपीओ में 25 शेयर खरीदे। एक साल में इसे 1,000 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच दिया। इस तरह, आपको कुल 10,000 रुपये का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स प्राप्त हुआ। अब इस कमाई पर आपको 15 फीसदी की दर से कर चुकाना होगा, जो 1,500 रुपये बनता है। इसके अलावा, चार फीसदी यानी 60 रुपये उपकर भी देना होगा। इस तरह, आपको कुल 1,560 रुपये कर के रूप में देना होगा। इसी भाव पर शेयरों को एक साल के बाद बेचते हैं तो कुल मुनाफे पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कर भरना होगा, जो 1,000 रुपये बनता है।

कर सकते हैं घाटे की भरपाई भी
आईपीओ के सूचीबद्ध होने के बाद शेयरों की कीमत खरीदारी भाव से नीचे चली जाती है तो तो इस घाटे को अन्य शेयरों से हुए मुनाफे के साथ समायोजित कर सकते हैं। अगर छोटी अवधि में बेचे शेयरों में नुकसान हुआ है तो इसी अवधि में एक साल पहले बेचे गए अन्य शेयरों के मुनाफे से इसे समायोजित कर टैक्स संबंधी भरपाई कर सकते हैं। हालांकि, आयकर विभाग लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर भरपाई की सुविधा नहीं देता है।

कर विशेषज्ञों का कहना है कि आईपीओ से मुनाफे पर उसी हिसाब से कर लगता है, जैसे सूचीबद्ध शेयर से होने वाली कमाई पर। शेयर की होल्डिंग अवधि निवेश की तारीख से नहीं बल्कि शेयर आवंटन की तारीख से शुरू होगी। इसका मतलब है कि मुनाफे पर कर की गणना आईपीओ में आवंटित शेयर की तारीख से होगी।