आरकॉम के 4G स्पेक्ट्रम पर हो सकती है जियो की नजर

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 कोलकाता। रिलायंस जियो इन्फोकॉम अब सिस्टेमा श्याम टेलिसर्विसेज (एसएसटीएल) का मर्जर करने से रिलायंस कम्यूनिकेशंस (आरकॉम) को सात महत्वपूर्ण मार्केट्स में 850 Mhz बैंड में मिले 4G स्पेक्ट्रम को हासिल करने की कोशिश कर सकता है।

हालांकि, ऐसा वह तभी कर पाएगा, जब टेलिकॉम सेक्टर रेग्युलेटर ट्राई की स्पेक्ट्रम की सीमा पर छूट देने की सिफारिश को सरकार से इजाजत मिल जाए।

सेक्टर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिल्ली, कोलकाता, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश-पश्चिम और पश्चिम बंगाल में एसएसटीएल के 850 MHz बैंड में 4G स्पेक्ट्रम जियो के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि यह स्पेक्ट्रम फाइनैंशल इयर 2033 तक वैध है और इन सर्कल में आरकॉम का अधिकांश स्पेक्ट्रम चार वर्षों (जुलाई 2021) में समाप्त हो रहा है।

ऐनालिस्ट्स को जियो की ओर से महाराष्ट्र, पंजाब और आंध्र प्रदेश में आरकॉम के 4G स्पेक्ट्रम को निशाना बनाने की भी उम्मीद है क्योंकि इन सर्कल में एसएसटीएल के पास कोई 800 MHz स्पेक्ट्रम नहीं है। इस बारे में ईटी की ओर से ईमेल से भेजे गए प्रश्नों का जियो ने उत्तर नहीं दिया।

अगर टेलिकॉम कंपनियों पर प्रत्येक बैंड में स्पेक्ट्रम रखने की 50 पर्सेंट की सीमा को हटाने के ट्राई के प्रपोजल को सरकार मंजूरी देती है तो आरकॉम अपनी 4G स्पेक्ट्रम होल्डिंग मजबूत करने की कोशिश कर सकता है।

ऐनालिस्ट्स का कहना है कि जियो महत्वपूर्ण 4G सर्विसेज के लिए सबसे अच्छे माने जाने वाले 850 MHz बैंड में अपना दबदबा बनाने की कोशिश करेगा।

इससे उसे देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। भारती भी इस महत्वपूर्ण बैंड में अपनी होल्डिंग बढ़ाने का प्रयास कर सकता है।

भारती एयरटेल अभी टाटा टेलिसर्विसेज का कन्ज्यूमर मोबाइल बिजनस अक्वायर कर रहा है और इसके जरिए उसे यह स्पेक्ट्रम भी मिलेगा। आरकॉम से 850 Mhz बैंड स्पेक्ट्रम खरीदने की योजना के बारे में पूछने पर भारती एयरटेल के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से मना कर दिया।

हालांकि, उनका कहना था कि कंपनी इंट्रा बैंड स्पेक्ट्रम के लिए 50 पर्सेंट की सीमा बरकरार रखने के पक्ष में है जिससे किसी एक टेलिकॉम कंपनी का उस बैंड में एकाधिकार नहीं हो सके।

इससे पहले भारती एयरटेल ने कहा था कि वह आरकॉम से चुनिंदा स्पेक्ट्रम और इक्विपमेंट खरीदने में दिलचस्पी रखता है, जिसे कर्ज के बोझ से दबी आरकॉम के लेंडर्स बेचना चाहते हैं।