रिलायंस इंडस्ट्रीज के शुद्ध मुनाफे में 1.8 प्रतिशत की कमी आई, सालाना आय रिकॉर्ड स्तर पर

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नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का समेकित शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2023-24 की मार्च तिमाही में 1.8 प्रतिशत कम रहा है। एक साल पहले कर के मद में अधिक खर्च होने से कंपनी के शुद्ध मुनाफे में यह कमी आई है।

मार्च 2024 में समाप्त तिमाही में आरआईएल का शुद्ध मुनाफा 18,951 करोड़ रुपये रहा, जो सालाना आधार पर 1.8 प्रतिशत कमजोर रहा। हालांकि, एक साल पहले की तुलना में कंपनी का राजस्व 11.1 प्रतिशत उछलकर 2.36 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।

कंपनी का करोपरांत मुनाफा (profit after tax-PAT) 21,243 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग सपाट रहा। तिमाही आधार पर आरआईएल का शुद्ध मुनाफा 9.8 प्रतिशत अधिक रहा जबकि, राजस्व में 5.1 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।

कंपनी ने कहा कि सोमवार को आरआईएल के निदेशकमंडल ने 10 रुपये प्रति शेयर का लाभांश वितरित करने की सिफारिश की है। वित्त वर्ष 2023-24 में आरआईएल का करोपरांत मुनाफा सालाना आधार पर 7 प्रतिशत बढ़कर 79,020 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। मुनाफे के मोर्चे पर आरआईएल का प्रदर्शन बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा।

ब्लूमबर्ग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में 14 विश्लेषकों ने कंपनी का राजस्व 2.36 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया था। इनमें 8 विश्लेषकों ने कंपनी की समायोजित शुद्ध आय 19,726 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद लगाई थी।

आरआईएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा, ‘आरआईएल के विभिन्न कारोबारी खंडों ने भारत की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि रिलायंस 1 लाख करोड़ रुपये कर पूर्व मुनाफा हासिल करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई है।’

तिमाही के दौरान कंपनी के खुदरा कारोबार के लिए परिचालन आय 9.8 फीसदी बढ़कर 67,610 करोड़ रुपये हो गई। इस दौरान जियो प्लेटफॉर्म्स की आय 13.4 फीसदी बढ़कर 28,871 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने बताया कि तिमाही के दौरान उसका समेकित एबिटा 14.3 फीसदी बढ़कर 47,150 करोड़ रुपये हो गया।

एबिटा (EBITDA) को मुख्य तौर पर सभी कारोबारों का दमदार योगदान रहा। जियो प्लेटफॉर्म्स के लिए ब्याज, मूल्यह्रास और कर पूर्व मुनाफा (PBIDT) 12.5 फीसदी बढ़कर 14,360 करोड़ रुपये हो गया। जबकि खुदरा कारोबार का PBIDT 18.1 फीसदी बढ़कर 5,632 करोड़ रुपये हो गया।

ओ2सी कारोबार के एबिटा में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और वह 16,777 करोड़ रुपये हो गया। इस मुख्य तौर पर लाभकारी फीडस्टॉक सोर्सिंग, ईथेन क्रैकिंग और घरेलू उत्पादों की दमदार बिक्री से बल मिला। कंपनी ने कहा कि ओ2सी कारोबार का राजस्व 10.9 फीसदी बढ़कर 1.42 लाख करोड़ रुपये हो गया।