MSME सेक्टर को सरकार देगी 3 लाख करोड़ तक की लोन गारंटी!

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मुंबई। कोविड -19 की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने देश की इकॉनमी के सभी सेक्टर को प्रभावित किया है जिसमें सबसे ज्यादा असर MSMEs सेक्टर पर पड़ा है। देश के जीडीपी में 30% की हिस्सेदारी रखने वाला यह सेक्टर बड़े स्केल पर छोटे आकार का है और ज्यादातर यूनिट्स असंगठित हैं।

यह सेक्टर पहले से कम मांग, मंदी और जीएसटी के कारण चुनौतियों से जूझ रहा था अब कोविड -19 ने इसकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। केयर रेटिंग्स के एक सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से यह सेक्टर इस पोजीशन में नहीं है कि वह लंबे समय तक बिना सरकारी मदद के सर्वाइव कर सके।

यह सेक्टर पोस्ट कोविड -19 और लॉकडाउन सबसे प्रभावित हो सकता है, इसलिए इस सेक्टर को राहत देने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को जिस महापैकेज का ऐलान किया है। ऐसा माना जा रहा है कि MSME सेक्टर को 3 लाख करोड़ रुपये की एडिशनल लोन गारंटी मिल सकती है। यह राशि सेक्टर के बैंक एक्पोजर के 20 पर्सेंट के बराबर है।

मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर

  • एंटरप्राइज श्रेणी संयंत्र और मशीनरी में निवेश की जरूरत
  • माइक्रो इंटरप्राइजेज 25 लाख रुपये से अधिक नहीं है
  • स्मॉल इंटरप्राइजेज 25 लाख रुपये से पांच करोड़ रुपये तक
  • मीडियम इंटरप्राइजेज पांच करोड़ रुपये से दस करोड़ रुपये तक

सर्विसेज सेक्टर

  • एंटरप्राइज श्रेणी उपकरणों में निवेश की जरूरत
  • माइक्रो इंटरप्राइजेज 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है
  • स्मॉल इंटरप्राइजेज 10 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये तक
  • मीडियम इंटरप्राइजेज 10 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये तक

दो महीने में मंजूर हुए 6 लाख करोड़ रुपये के कर्ज’
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने लॉकडाउन की वजह से प्रभावित एमएसएमई, खुदरा, कृषि और कॉरपोरेट समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए पिछले दो महीने के दौरान 5.95 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दी। वहीं, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को इन बैंकों से एक मार्च से लेकर आठ मई तक 1.18 लाख करोड़ रुपये का फाइनैंस किया गया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने एक मार्च से आठ मई 2020 के दौरान एमएसएमई, खुदरा, कृषि और कॉरपोरेट क्षेत्र के 46.74 लाख खाताधारकों को 5.85 लाख करोड़ रुपये कर्ज देने को मंजूरी दी। जबकि इस दौरान एनबीएफसी को 1.18 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए ।’