नई दिल्ली। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) ने सितंबर महीने में इंडियन कैपिटल मार्केट्स से 21,000 करोड़ रुपए (300 करोड़ डॉलर) की निकासी की। पिछले 4 महीने में यह FPI की सबसे बड़ी निकासी है। एफपीआई की ओर से निकासी की मुख्य वजह ग्लोबल स्तर पर बढ़ता ट्रेड वार का टेंशन और करंट अकाउंट डेफिसिट की चिंता रही।
अगस्त में विदेशी निवेशकों ने कैपिटल मार्केट (इक्विटी और डेट) में करीब 5,200 करोड़ रुपए और जुलाई में 2,300 करोड़ रुपए निवेश किए थे। इससे पहले अप्रैल-जून तिमाही के दौरान विदेशी निवेशकों ने घरेलू बाजार से 61,000 करोड़ रुपए निकाले थे।
मई के बाद सबसे बड़ी निकासी
डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) ने सितंबर महीने में स्टॉक मार्केट से 10,825 करोड़ रुपए की निकासी की, जबकि डेट मार्केट से 10,198 करोड़ रुपए निकाले। इस प्रकार निवेशकों ने कुल 21,023 करोड़ रुपए की निकासी की। यह मई के बाद की सबसे बड़ी निकासी है। मई में विदेशी निवेशकों ने 29,775 करोड़ रुपए की निकासी की थी।
निकासी की वजह
मॉर्निंगस्टार के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि ग्लोबल स्तर ट्रेड वार का बढ़ता तनाव, क्रूड ऑयल की बढ़ी कीमतों से करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) बढ़ने, रुपए की कमजोरी, राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की सरकार की क्षमता को लेकर चिंता और उम्मीद से कम जीएसटी कलेक्शन निकासी की वजह रही।
उन्होंने कहा कि ये सभी फैक्टर्स देश के मैक्रो एनवायरेन्मेंट को प्रभावित कर रहे हैं। इसने इकोनॉमिक ग्रोथ की स्थिरता पर भी संदेह खड़ा किया है, जिस पर विदेशी निवेशक करीब से नजर रखे हुए हैं।
इसके अलावा, ग्लोबल ट्रेड वार टेंशन से भी विदेशी निवेशकों के लिये जोखिम खड़ा हो गया और वे भारत जैसे उभरते हुए बाजारों को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं।इस साल अब तक निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से 13,000 करोड़ रुपए और डेट मार्केट से 48,000 करोड़ रुपए की निकासी की।