नई दिल्ली। दुनिया की बढ़ती आबादी के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जाता है। तकनीकी के साथ-साथ जनसंख्या के मामले में भी चीन विश्व में नंबर एक पर है। इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत है और तीसरे नंबर पर यूनाइटेड स्टेट, चौथे पर इंडोनेशिया और पांचवें पर पाकिस्तान की आबादी है। आबादी बढ़ने के साथ-साथ लोगों की परेशानियां भी दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं। आइए, डालते हैं इस विषय पर एक नजर।
यूनाइटेड स्टेट ने जनसंख्या वृद्धि दर संबंधी आंकड़ों पर नजर रखने वाली वेबसाइट वर्ल्डोमीटर (Worldometer elaboration) के हवाले से आंकड़े जारी किए हैं। 9 जुलाई 2021 (शुक्रवार) को जारी किए आकड़ों में भारत की जनसंख्या 139 करोड़ (1,393,790,539 ) को पार कर चुकी है,। साल 2020 में भारत की आबादी 138 करोड़ थी और एक साल के भीतर 1 करोड़ की जनसंख्या का इजाफा हुआ है।
बढ़ती आबादी से पैदा हो रही हवाजनित बीमारयां:आपको जानकर हैरानी होगी कि घनी आबादी के कारण मानव स्वास्थ्य खतरे में है। दिन-ब-दिन बढ़ती आबादी के बीच आसानी से वायुजनित रोग यानी हवा से होने वाली बीमारियां (airborne diseases) आसानी से फैल रही हैं। जैसा कि शोध में भी स्पष्ट हो चुका है कि कोविड और मानसूनी बीमारियां भी हवा से फैलती हैं।
जनसंख्या के बढ़ने से शहरी भीड़ और पर्यावरणीय परिवर्तन (environmental changes) जैसे मुद्दों को भी जन्म दिया है जिसके चलते कई संक्रामक रोग सामने आए हैं। आने वाले दिनों में ये रोग अपना विस्तार कर सकते हैं।
दूषित पानी भी बन रहा जानलेवा रोगों का कारण: अधिक जनसंख्या के कारण पानी की समस्या भी लगातार बढ़ रही है। कई लोगों तक पीने का पानी नहीं पहुंचता और दूषित जल के सेवन से भी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। हर साल दूषित पानी से होने वाली बीमारियों के कारण भी कई लोगों की मौत हो जाती है। क्योंकि घनी आबादी में वायरस तेजी से फैलता है और म्यूटेशन के कारण नए-नए घातक वेरिएंट भी आते हैं।
जितनी अधिक आबादी, उतनी कम ताजी हवा: आबादी के बढ़ने से अपने वाहन से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। इस वजह से वायु प्रदूषण बढ़ रहा जिससे लोगों का ताजी हवा में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में सड़क पर यातायात के कारण होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में चिंता बढ़ रही है। हवा में जहरीली गैस वयस्कों की तुलना में बच्चों की सेहत पर अधिक निगेटिव प्रभाव डाल रही है। मौजूदा दौर में खराब गुणवत्ता वाली हवा से अधिकांश लोग सांस की समस्याओं से पीड़ित हैं जिनके बारे में नीचे जिक्र है।