नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के चार साल पूरे होने के मौके पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि अब तक 66 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल किए गए, कर की दरें में कटौती हुई और करदाताओं की संख्या बढ़ी है। पूरे देश में एक राष्ट्रव्यापी जीएसटी एक जुलाई 2017 को लागू किया गया था, जिसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट और 13 उपकर जैसे कुल 17 स्थानीय कर समाहित थे।
वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि जीएसटी ने सभी करदाताओं के लिए अनुपालन को सरल बना दिया है और जीएसटी परिषद ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के मद्देनजर कई राहत उपायों की सिफारिश भी की है। जीएसटी के तहत 40 लाख रुपये तक वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों को कर से छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त 1.5 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले लोग कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं और केवल एक प्रतिशत कर का भुगतान कर सकते हैं।
इसी तरह सेवाओं के लिए एक साल में 20 लाख रुपये तक कारोबार वाले व्यवसायों को जीएसटी से छूट दी गई है। इसके बाद एक साल में 50 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले सेवाप्रदाता कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं और उन्हें केवल छह प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा।
मंत्रालय ने ट्वीट किया कि, ‘अब यह व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया है कि जीएसटी उपभोक्ताओं और करदाताओं, दोनों के अनुकूल है। जीएसटी से पहले उच्च कर दरों ने कर भुगतान करने को हतोत्साहित किया, हालांकि जीएसटी के तहत कम दरों ने कर अनुपालन को बढ़ाने में मदद की। अब तक 66 करोड़ से अधिक जीएसटी रिटर्न दाखिल किए गए हैं।’ वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी के तहत लगभग 1.3 करोड़ करदाताओं के पंजीकरण के साथ अनुपालन में लगातार सुधार हो रहा है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी ने उच्च कर दरों को कम किया। मंत्रालय ने आगे कहा कि जीएसटी ने जटिल अप्रत्यक्ष कर ढांचे को एक सरल, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी संचालित कर व्यवस्था में बदल दिया है और इस तरह भारत को एक बाजार में एकजुट किया है।