बंगलादेश को 50 हजार टन गैर बासमती चावल निर्यात करेगा भारत

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नई दिल्ली। बंगलादेश (Bangladesh) ने जो अभी 50 हजार टन गैर बासमती चावल (Par Boiled Rice) के आयात का टेंडर (Rice Import Tender) निकाला है, उससे भारतीय चावल निर्यातकों (Indian Rice Exporter) के बीच आशा की किरण जगी है। निर्यातकों को लगता है कि बंगलादेश नेशनल एग्रीकल्चर कोओपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन (NAFED) से यह खरीद करेगा। भारतीय गैर बासमती चावल की पहले से ही अफ्रीकी देशों (Africi Countries) और चीन में भारी मांग है। अब इस सूची में बंगलादेश भी जुड़ गया लगता है।

बंग्लादेश को पसंद भारतीय चावल
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है जैसे पूर्वी भारत के लोगों को उसना या भुजिया चावल (Par Boiled Rice) पसंद आता है, वैसे ही बंग्लादेश के लोगों को भी यही चावल भाता है। इसलिए बंग्लादेश अधिकतर गैर बासमती किस्म के चावलों की खरीद करता है। इस बार भी जो 50 हजार टन चावल के आयात का टेंडर निकाला गया है, वह इसी किस्म का है। इस किस्म के धान की खेती पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में खूब होती है। यदि यह आर्डर भारत को मिलता है उन्हीं इलाकों से चावल का निर्यात किया जाएगा। इससे वहां के किसानों को धान की बेहतर कीमत मिलेगी और उनकी आमदनी तेजी से बढ़ेगी।

बंग्लादेश ने चावल पर घटाया आयात शुल्क
बंग्लादेश ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान ही चावल पर लगने वाले आयात शुल्क में कटौती की है। वहां पहले चावल आयात पर 62.5 फ़ीसदी का आयात शुल्क लगता था, जिसे अब घटा कर 25 फ़ीसदी कर दिया गया है। दरअसल, वहां पिछले साल चावल की कीमतें काफी बढ़ गई थी। इसी वजह से आयात शुल्क में कटौती का दवाब था। उसके अलावा, आयात शुल्क में कटौती का सबसे बड़ा फ़ायदा भारत को होता दिख रहा है। देश में पिछले साल चावल की बंपर पैदावार और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपनी मज़बूत प्रतिस्पर्धी स्थिति के चलते भारत बड़े पैमाने पर बंग्लादेश को भारी मात्रा में चावल का निर्यात कर सकता है।

बाढ़ के चलते वहां पिछले साल पैदावार घटी
पारंपरिक तौर पर बंग्लादेश दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश रहा है। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों के दौरान बार-बार आई बाढ़ के चलते धान की फसल खराब हुई है। ऐसे में चावल का बफर स्टॉक (Buffer Stock of Rice) घट रहा है। जब बफर स्टॉक घटेगा तो घरेलू बाज़ार में चावल की कीमत ऊंची होना लाजिमी है। इन सब कारणों से इन दिनों बंग्लादेश चावल के एक बड़े आयातक के तौर पर उभरा है। दुनिया भर में चावल पैदा करने में चीन सबसे आगे है। इसके बाद भारत का और तीसरे स्थान पर बंग्लादेश काबिज है।

बीते साल भारत से रिकार्ड चावल का निर्यात
पिछला साल भारत के लिए महामारी वाला वर्ष था। वह वर्ष करीब करीब पूरा ही लॉकडाउन की सख्त पाबंदियों के बीच बीता। लेकिन इस बीच रिकार्ड 13.9 मिलियन टन गैर बासमती किस्म के चावलों का निर्यात हुआ। यह निर्यात मुख्यत: अफ्रीकी देशों और चीन को हुआ। इसी साल 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का भी निर्यात हुआ। यहां से चावलों के हुए कुल निर्यात में अफ्रीकी देशों की हिस्सेदारी 54 फीसदी की है। इससे भारत को वर्ष 2020-21 के दौरान 4.796 अरब डॉलर की आमदनी हुई।