सबसे कम उम्र की साक्षी न्याति ने तीसरी बार किया प्लाज्मा डोनेशन

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कोटा। प्लाज्मा डोनेशन के क्षेत्र में कोटा में अब तक कुल 487 प्लाज्मा डोनेशन हुए हैं जिसमें 6 बेटियां अब तक सामने आई हैं। कोटा में इन 6 युवतियों में कृष्णा नगर रंगबाडी निवासी साक्षी न्याति (20) ने स्वेच्छा से तीसरी बार प्लाज्मा डोनशन कर कोटा को गौरांवित कर जन सामान्य के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हैं। आदर्श स्थापित करने वाली जनसेवा के लिए जिला कलक्टर उज्ज्वल राठौड ने साक्षी को बधाई दी है।

उन्होंने कहा कि कोटा में प्लाज्मा को लेकर निरन्तर अच्छा कार्य हो रहा है। टीम जीवनदाता के संयोजक व लायंस क्लब के जोन चेयरमैन भुवनेश गुप्ता ने बताया कि Covid-19 की दूसरी लहर के बीच प्लाज्मा डोनर्स का मिलना बेहद मुश्किल हो रहा है। ओ पॉजिटिव मरीज के लिए दो दिन से मैसेज प्रसारित किए जा रहे थे। ऐसे में साक्षी ने मैसेज देखकर प्लाज्मा डोनेशन की इच्छा जाहिर की।

कॉमर्स की छात्रा साक्षी की कक्षाएं सुबह से लेकर शाम तक चल रही हैं । ऐसी स्थिति में भी डोनेशन के लिए एमबीएस पहुँचकर मोबाइल पर ऑनलाइन कक्षा भी लेती रही और प्लाज़्मा डोनेशन भी चलता रहा। साक्षी ने कहा कि सेवा के लिये प्रबल इच्छाशक्ति ही पर्याप्त है। बाकी ईश्वर हर कार्य की परिणीति करवा देता है। गुप्ता ने बताया कि इनके परिवार में साक्षी के पिता मनोज न्याति 57 वर्ष की उम्र में पहले ही पांच बार प्लाज्मा डोनेशन कर चुके हैं।

जबकि भाई सारांश न्याति भी पूर्व में एक बार प्लाज्मा डोनेशन कर चुका है। आगे के लिये एंटीबॉडी नही आ रही है। इस दौरान साक्षी ने कहा कि अपने लिए जीए तो क्या जियें। सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही भारतीय संस्कृति में सेवा को सर्वप्रथम रखा गया है। ऐसे में जब तक तन मन स्वस्थ हो, तब तक सेवा करते रहना चाहिए। साक्षी की छोटी उम्र में बडे विचारों ने सभी को प्रभावित किया। इस अवसर पर आध्या माहेश्वरी, विभाध्यक्ष डॉ. एचजी मीणा, डॉ. शैलेन्द्र वशिष्ठ, कपिल गुप्ता पोरवाल, मनीष माहेश्वरी, नितिन मेहता, महेन्द्रा वर्मा का विशेष सहयोग रहा।

सेवाभाव के लिए भी जाना जाएगा कोटा
भुवनेश गुप्ता ने बताया कि कोटा शहर में जिस सेवाभाव से प्लाज्मा का कार्य हुआ है, ऐसा उदाहरण देश में कहीं भी देखने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा के क्षेत्र में कोटा ने अनगिनत रिकॉर्ड स्थापित कर कोटा का मान बढ़ाया है। ऐसे में कोटा सेवाभाव के लिए भी जाना जाएगा। अनजान की जान बचाने के लिए जिस तरह से कोटा के लोग अपना महत्वपूर्ण कार्य छोडकर आगे आए हैं, वह अपने आम में काबिले तारीफ है।