फोन एवं एक्सेसरीज 1 अप्रैल से महंगे होंगे, बढ़ेगी 2.5 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी

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नई दिल्ली। 1 अप्रैल वैसे तो मूर्ख दिवस के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इसी तारीख से कई ऐसे बदलाव होने जा रहे हैं जिसका सीधा असर आप पर होगा। दरअसल, 1 अप्रैल से मारुति और निसान की कार महंगी होने वाली हैं। तो होंडा ने भी अपने टू-व्हीलर की कीमतें बढ़ाने का एलान किया है। अब इस लिस्ट में मोबाइल फोन भी शामिल हो चुके हैं।

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2020-21 के आम बजट में घोषणा की थी कि लोकल मोबाइल पार्ट्स, मोबाइल चार्जर और एडॉप्टर, गैजेट्स बैटरी, हेडफोन पर इंपोर्ट ड्यूटी 2.5% बढ़ाई जाएगी। ऐसे में इनकी कीमतों में इजाफा हो सकता है।

सरकार ने बीते 4 साल में इन प्रोडक्ट्स पर औसतन करीब 10% तक इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई है। इससे देश में मोबाइल फोन का प्रोडक्शन करीब तीन गुना तक बढ़ गया है, लेकिन ये चीजें महंगी हुई हैं। इसी का असर है कि 2016-17 तक देश में 18,900 करोड़ रुपए के मोबाइल फोन बनते थे। 2019-20 में देश में 1.7 लाख करोड़ रुपए के फोन बनने लगे।

इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की वजह
सरकार ने बजट 2021 में कई आइटम पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की बात कही है। सरकार इस कदम से 20,000 करोड़ से 21,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व हासिल कर सकती है। कोरोना महामारी के चलते सरकारी खजाना भी तेजी से खाली हुआ है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है।

मोबाइल फोन की कीमत कितनी बढ़ेगी?
इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि देश के अंदर बड़ा वर्ग सस्ते स्मार्टफोन खरीदने वाला है। इंपोर्ट ड्यूटी से फोन की कीमत में न्यूनतम 100 रुपए तक का अंतर आता है, तब इसका ग्राहकों की जेब पर ज्यादा असर नहीं होगा। मिड बजट या प्रीमियम स्मार्टफोन की कीमत में ज्यादा अंतर देखने को मिल सकता है।

मान लीजिए, किसी स्मार्टफोन की कीमत 10,000 रुपए है। तब इंपोर्ट ड्यूटी के बाद उसकी नई कीमत 10,500 रुपए तक हो सकती है। इसी तरह 25,000 रुपए तक कीमत वाले स्मार्टफोन 500 रुपए तक महंगे हो सकते हैं।

कंपनियां फोन की लागत घटाने के दिशा में लगातार काम कर रही है। यदि इसके बाद भी फोन की कीमतें बढ़ती हैं तब वे एक्ससेरीज हटाने की तरफ जा सकती हैं। जैसे एपल ने अपने आईफोन के बॉक्स से चार्जर को अलग कर दिया है। यानी ग्राहकों को चार्जर के लिए अलग से पैसे खर्च करने होते हैं। ऐसे में अब कंपनियां एपल की राह पर जा सकती है। कई कंपनियों फोन के साथ ईयरफोन देना तो पहले ही बंद कर चुकी हैं।

सरकार देश में स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से बाहर से आने वाला सामान महंगा होगा। ऐसे में उसे भी देश में तैयार किए जाने पर जोर दिया जाएगा। जो चीजें भारत में बनकर तैयार होंगी, वो सस्ती बिकेंगी।”

“भारत और चीन के बीच बीते साल काफी तनातनी देखने को मिली। जिससे दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो गया। सरकार भी चाहती है कि हमारी डिपेंडेंसी चीन पर कम हो। जैसे, कोई फोन चीन में तैयार हुआ है, लेकिन भारत में उसकी कीमत 20 हजार रुपए है। वैसे ही हार्डवेयर और फीचर वाला फोन भारत में तैयार होकर 4-5 हजार रुपए सस्ता मिलेगा।”

“इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि आज से 7-8 साल पहले जब भारत में चीनी फोन की बिक्री शुरू हुई थी, तो इन्होंने सैमसंग जैसी बड़ी कंपनी के साथ भारत की लोकल कंपनियों को भी खत्म कर दिया। अब इसका उल्टा हो रहा है। सरकार यहां की कंपनियों को मौका दे रही है। इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है लेकिन बाहरी कंपनियां को नुकसान होगा।”

बाहर की कंपनियों को अपने फोन भारत में ही बनाने होंगे, या फिर फोन का मार्जिन कम करना होगा। एपल और सैमसंग के पास स्मार्टफोन इंडस्ट्री का करीब 65% मार्केट शेयर है। ऐसे में इन्हें भी अपना प्रॉफिट मार्जिन कम करना होगा। लोग चाहते हैं कि एक अच्छा फोन लेकर उसे लंबे वक्त तक चलाएं, लेकिन कंपनियों का फोकस इस बात है कि ग्राहक हर 6-8 महीने में अपना फोन बदले।”

कंपनियां फोन के साथ मिलने वाली एक्सेसरीज को हटाकर भी उसकी कीमत घटा सकती हैं। सरकार भी चाहती है कि ई-वेस्ट कम से कम हो। इसके लिए वायरलेस एक्सेसरीज सबसे बेस्ट ऑप्शन है। यूजर भी तारों के झंझट से मुक्त हो जाता है। इयरपॉड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अब कंपनियों का चार्जर पर काम करना है।”

फोर और टू-व्हीलर भी महंगे होंगे
1 अप्रैल से हीरो मोटोकॉर्प अपनी बाइक्स की कीमतों में इजाफा करने वाली है। इससे पहले कंपनी ने अपनी टू-व्हीलर को जब BS6 इंजन से रिप्लेस किया था तब इनकी कीमतें बढ़ाई गई थीं। मारुति और निसान ने भी अपनी कार की कीमतें बढ़ाने का एलान किया है। मारुति की गाड़ियां 3 से 5% तक महंगी होंगी।