कोटा। बच्चों की मौत के लिए बदनाम शहर का जेकेलाेन मातृ एवं शिशु अस्पताल अब बदल गया है। यहां प्रदेश का पहला मॉड्यूलर एनआईसीयू 32 दिन के रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हो चुका है। एनआईसीयू अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बने 40 बेड के एनआईसीयू पर 2.90 कराेड़ खर्च हुए हैं। शुद्ध ऑक्सीजन के लिए हेपा फिल्टर हैं।
सेंट्रल एसी सिस्टम ठंड और गर्मी में जरूरी तापमान मेंटेन करेगा। एसी सिस्टम एक घंटे में आठ बार आईसीयू की हवा बदलेगा, इससे संक्रमण की आशंका न्यूनतम रहेगी। आईसीयू तक पहुंचने को तीन गेट पार करने हाेंगे।
एनआईसीयू में ही होगी नवजातों की सारी जांचें
एनआईसीयू के प्रत्येक बेड पर सेंट्रल ऑक्सीजन, सक्शन और एयर के प्वाइंट्स दिए गए हैं। इसमें 19 वेंटीलेटर, 40 वार्मर, 25 सीपेप मशीनें, 10 कंगारू मदर केयर चेयर, पाेर्टेबल एक्सरे, हाइ फ्रिक्वेंसी वेंटीलेटर, नियाेनेटल कूलिंग मशीन, यूएसजी, टू डी ईकाे, ब्रेन की ईईजी के लिए सीएफएम मशीन, ट्रांसपाेर्ट वेंटीलेटर, एंब्रेस, मल्टी पैरामाॅनिटर, पल्स ऑक्सीमीटर, डबल सरफेस फाेटाेथैरेपी हैं। किसी भी जांच के लिए बच्चे काे बाहर ले जाने की आवश्यकता नहीं है। कुछ उपकरणाें की कीमत ताे 20 लाख से भी ज्यादा है।
क्या बच्चे के परिजन अंदर जा सकेंगे?
नहीं, बहुत जरूरी हुआ ताे गाउन पहनकर एंट्री दी जाएगी। वैसे बच्चे काे देखने के लिए एक विंडाे बनाई गई है, साथ ही हाइ रिजाेल्यूशन सीसीटीवी कैमरे हैं, जहां से बच्चे काे देखा जा सकता है। उन्हें वेटिंग एरिया में रहना हाेगा, वहां साउंड सिस्टम लगा हाेगा। ताकि डाॅक्टर बुलाना चाहें ताे मैसेज मिल जाए।
न्यूनतम इंफेक्शन के चांस
माॅड्यूलर एनआईसीयू से नवजात बच्चाें में किसी भी तरह के इंफेक्शन के चांस न्यूनतम रहेगा। इससे हर साल सैकड़ाें बच्चाें की जान बच पाएगी। इंफेक्शन के चलते बच्चे सेप्टीसीमिया के शिकार हाे जाते थे और उनकी माैत हाे जाती थी। कई बार तापमान मेंटेन नहीं हाेने से भी बच्चाें की माैत हुई है, इस आईसीयू में यह पूरा सिस्टम ऑटाेमेटेड रहेगा।
खासियतें, जाे कहीं नहीं मिलेगी
- एंटी बैक्टीरियल पेंट कराया गया है।
- दीवारें, फर्श, फाॅल्स सीलिंग ज्वाॅइंट फ्री है, ताकि इंफेक्शन का खतरा न रहे।
- 18 सीसीटीवी लगे हैं।
- टू वे कम्युनिकेशन सिस्टम।
- हर बेड पर 1 नर्सिंगकर्मी व 24 घंटे एक शिशु राेग विशेषज्ञ रहेगा।
- अटेंडेंट एक विंडाे से अपने बच्चे काे देख पाएंगे, इसका गेट रिमाेट ऑपरेटेड हाेगा।
- कपड़ाें के लिए वाॅशिंग एरिया।
- इमरजेंसी एग्जिट, फायर व इलेक्ट्रिक सेफ्टी सिस्टम लगाया गया है।
- नियाेनेटल कूलिंग मशीन उन बच्चाें काे जीवनदान देगी, जाे पैदा हाेने के बाद राेते नहीं है।
- एंब्रेंस कवर में बच्चे काे लपेटकर कहीं भेजा जा सकता है, ताकि तापमान मेंटेन रहे।