राजस्थान में यह कैसा कानून, किसानों का मंडी से बाहर कृषि उपज बेचना अपराध

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कोटा। राजस्थान कृषि उपज मंडी एक्ट-1961 के तहत लगा मंडी शुल्क किसानों की कमर तोड़ रहा है, जबकि इस एक्ट में किसानों को मंडी से बाहर कृषि उपज बेचने को अपराध की श्रेणी में माना है। एपीएमसी एक्ट के तहत खुली मंडियों की स्थिति की ही बात करें तो प्रदेश की 247 मंडियाें में से 144 में ही राेज व्यापार होता है। इनमें भी केवल 10 प्रतिशत मंडियों में ही नीलामी प्रक्रिया की जाती है।

हाड़ौती और बीकानेर संभाग के बाद शेष मंडियाें में व्यवस्था अपर्याप्त है। प्रदेश की आधी तहसील, उपतहसीलों में मंडियां नहीं हैं। जहां हैं वहां नीलामी नहीं होने से किसानों को उपज या तो सीधे खेत से बेचना पड़ता है या फिर मजबूरी में बड़ी मंडियाें में ले जानी पड़ती है। इससे बड़ी मंडियों में कृषि उपज का भार बढ़ता जा रहा है।

दूसरी ओर महंगे ट्रांसपोर्ट का भार सहने के बाद मंडी में भी अप्रत्यक्ष रूप से मंडी शुल्क भरने को मजबूर होना पड़ता है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक अादि राज्याें में मंडी शुल्क में 0.35 से 1.00 प्रतिशत है। वहीं प्रदेश में यह शुल्क 2.60 प्रतिशत है। इसमें 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क और 1 प्रतिशत किसान कल्याण काेष में जमा हाेता है।

भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि राजस्थान में भी उत्तराखंड की तर्ज पर सम्पूर्ण प्रदेश को मंडी क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। सभी तहसील, उपतहसीलों में मंडियां खोली जानी चाहिए। जहां खरीद और नीलामी नहीं हो रही, वहां शुरू कराना चाहिए।

विवाद निपटारे में हो किसानों का प्रतिनिधित्व
एपीएमसी एक्ट 1961 के अनुसार किसान, व्यापारी और दलाल के बीच विवाद का निपटारा ओर अपील मंडी सचिव और मंडी निदेशक को करने का प्रावधान है। जिसमें निदेशक के निर्णय को ही अंतिम माना जाता है। जबकि किसान संगठनों के अनुसार यह न्यायोचित नहीं है।

किसान संगठनों के अनुसार डायरेक्टर और मंडी सचिव के साथ ही मंडी विवाद समिति में किसानों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। मंडी समिति के गठन में किसान संगठनों से भी प्रतिनिधि लिए जाने चाहिए। किसानों से धोखाधड़ी करने वालों पर दण्ड का प्रावधान होना चाहिए।

केन्द्र-राज्य के मकड़जाल में फंसा किसान
केन्द्र सरकार की ओर से पारित तीन कृषि कानूनों के अनुसार किसान अपनी उपज कहीं भी बिना मंडी शुल्क दिए बेचने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन, राज्य सरकार ने मना कर दिया है और बाहर बेचने पर अपराध माना है।