कोटा में नया एयरपोर्ट अब 525 हैक्टेयर में बनेगा, सर्वे के बाद की गई जमीन चिह्नित

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कोटा। शंभूपुरा में प्रस्तावित नए ग्रीन फील्ड एयरपाेर्ट के लिए शुक्रवार काे एयरपाेर्ट अथाॅरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) की टीम ने यूआईटी व राजस्व अधिकारियाें के साथ जमीन का नए सिरे से निरीक्षण किया। पूर्व में चिह्नित 876 हैक्टेयर जमीन को कम करने के लिए हुए इस निरीक्षण के दौरान एएआई ने करीब 525 हैक्टेयर जमीन की जरूरत बताई है। मौके पर ही नक्शों के साथ इस जमीन को चिह्नित भी कर लिया गया और मार्किंग भी कर दी गई।

एएआई के सूत्रों ने भास्कर को बताया कि जमीन कम करने के बाद भी एयरपोर्ट का रनवे 5351 मीटर ही रहेगा, लंबाई में कोई कमी नहीं की जाएगी। चौड़ाई में जरूर थोड़ी कमी होगी और बिल्डिंग भी उसी के अनुरूप बनेगी। एयरपाेर्ट की चाैड़ाई अब 1600 मीटर की बजाए 1100 मीटर रहेगी।

एयरपाेर्ट अथाॅरिटी की टीम में काेटा एयरपाेर्ट के प्रभारी नरेंद्र मीना के अलावा एएआई के केंद्रीय मुख्यालय से ज्वाइंट जीएम (एटीएम) मोहम्मद सिराज खान, असिस्टेंट जीएम (सीएनएस) संजय अग्रवाल तथा सीनियर मैनेजर (आर्किटेक्ट) पूनम सिंह शामिल रहे।

टीम के सदस्यों ने सुबह एयरपोर्ट की जमीन देखने के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर उज्जवल राठौड़ से मीटिंग की। इसमें तय किया गया कि मार्किंग किए गए नए नक्शे उन्हें अविलंब मुहैया करा दें, ताकि वे अपनी असेसमेंट रिपोर्ट चैयरमेन को सौंप पाएं।

यूआईटी सचिव राजेश जोशी, उप सचिव मोहम्मद ताहिर व चंदन दुबे, तहसीलदार रामकल्याण यादवेंद्र, लाडपुरा के नायब तहसीलदार लाडपुरा, विनय चतुर्वेदी तथा तालेड़ा के एसडीएम कमलराम मीना, तालेड़ा तहसीलदार भावना सिंह साथ रहे रात को ही यूआईटी ने संशोधित नक्शे टीम सदस्यों को मेल भी कर दिए।

अब एएआई की टीम अपनी रिपोर्ट चेयरमैन को देगी। चेयरमैन रिपोर्ट को सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को देंगे, जहां से राज्य सरकार के पास जमीन की सहमति के लिए पत्र आएगा। इसके बाद राज्य सरकार कोटा जिला प्रशासन को जमीन हस्तांतरण के लिए निर्देशित करेगी। यदि सब ठीक रहा और इसी रफ्तार से काम होता रहा तो अगले दो माह में यह प्रोसेस पूरा हो सकता है।

525 हैक्टेयर जमीन तय की
कलेक्टर उज्जवल राठौड़ ने बताया कि एयरपोर्ट अथाॅरिटी की टीम ने करीब 525 हैक्टेयर जमीन तय की है। हम ई-मेल से उन्हें सारे नक्शे भिजवा रहे हैं।

10 दिन में तय हो गई जमीन
कोटा एयरपोर्ट की जमीन का मामला करीब सालभर से अटका हुआ था। केंद्र सरकार 876 हैक्टेयर जमीन चाहती थी, जबकि राज्य सरकार ने जमीन को बहुत ज्यादा बताते हुए इसे कम करने को कहा था। इसके चलते मामला अटका हुआ था, लेकिन गत दिनों लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के स्तर पर एक हाई लेवल मीटिंग हुई और उसी दिन से यह पूरा मामला दोबारा रफ्तार पकड़ गया