ट्रंप के टैरिफ से स्टॉक मार्केट में हाहाकार, निवेशकों ने निकाले 400 अरब डॉलर

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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारी-भरकम टैरिफ लगाने के फैसले का असर वॉल स्ट्रीट पर साफ नजर आया। शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिससे वैश्विक ट्रेड वॉर और मंदी की आशंकाएं और तेज हो गईं।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर तक अमेरिका के तीनों प्रमुख इंडेक्स 4.5% से ज्यादा टूट चुके थे। यह दो दिन की सबसे बड़ी गिरावट है जो कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार देखने को मिली है।

Nasdaq पर संकट गहराया, Dow Jones भी करेक्शन जोन में
टेक कंपनियों के शेयरों से जुड़े Nasdaq Composite इंडेक्स की गिरावट ने इसे बेयर मार्केट की दहलीज पर ला दिया है। वहीं Dow Jones Industrial Average में गिरावट के कारण यह करेक्शन की स्थिति में पहुंच रहा है।

S&P 500 की कंपनियों का मार्केट वैल्यू बुरी तरह घटा
बुधवार को टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद से अब तक S&P 500 इंडेक्स की कंपनियों की कुल बाजार पूंजी 4 ट्रिलियन डॉलर (करीब 333 लाख करोड़ रुपये) से अधिक घट चुकी है। यह दो दिन में अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है, जो मार्च 2020 में हुई 3.3 ट्रिलियन डॉलर की गिरावट से भी ज्यादा है।

अमेरिका की नई इकॉनमिक पॉलिसी और उसके कारोबारी साझेदारों की संभावित प्रतिक्रिया को लेकर निवेशकों में डर बढ़ गया है। इसी डर के चलते निवेशकों ने तेजी से शेयर बेच दिए हैं, जिससे बाजार बुरी तरह लुढ़क गया।

CBOE Volatility Index, जिसे वॉल स्ट्रीट का ‘डर सूचकांक’ भी कहा जाता है, 42.13 तक पहुंच गया। यह अगस्त के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है, जो बताता है कि बाजार में जबरदस्त अनिश्चितता है।

चीन का बड़ा ऐलान
चीन के वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह अमेरिका से आने वाले सभी सामानों पर 10 अप्रैल से 34% का अतिरिक्त शुल्क लगाएगा। यह अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के जवाब में उठाया गया कदम है।

ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और इटली के प्रधानमंत्रियों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत होने के बाद बाजार में और गिरावट आ गई। इन बैठकों में अमेरिका के टैरिफ फैसले का जवाब कैसे दिया जाए, इस पर चर्चा हुई।

UBS वेल्थ मैनेजमेंट की मैनेजिंग डायरेक्टर मरियम एडम्स ने कहा, “हम फिलहाल व्यापार युद्ध के वाइल्ड वेस्ट में हैं। कुछ भी हो सकता है और यह अनिश्चितता ग्लोबल बाजार के लिए बेहद खतरनाक है।”

अमेरिकी समय अनुसार दोपहर 2:18 बजे Dow Jones इंडस्ट्रियल एवरेज 1,812.68 अंक यानी 4.48% गिरकर 38,729.54 पर आ गया। S&P 500 में 275.80 अंक (5.10%) की गिरावट आई और यह 5,121.21 पर बंद हुआ। Nasdaq Composite भी 833.35 अंक यानी 5.04% टूटकर 15,716.54 पर पहुंच गया।

जेपी मॉर्गन ने कहा था कि साल के अंत तक दुनिया भर में मंदी आने की संभावना अब 60% हो गई है, जो पहले 40% थी। यह बढ़ती हुई आर्थिक चिंता को दर्शाता है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान दिया। उन्होंने कहा कि अचानक लगाए गए ज्यादा टैरिफ से महंगाई बढ़ सकती है और आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है। इससे अमेरिकी सेंट्रल बैंक के सामने मुश्किल फैसले लेने की स्थिति बन सकती है।

इसके बावजूद ट्रेडर्स को उम्मीद है कि फेड आने वाले समय में नरम रुख अपना सकता है। मनी मार्केट फ्यूचर्स के मुताबिक, 2025 के अंत तक कुल 100 बेसिस प्वाइंट की ब्याज दर में कटौती की संभावना है, जबकि एक हफ्ते पहले यह अनुमान 75 बेसिस प्वाइंट का था।

अमेरिका में निवेशकों ने अस्थिरता के बीच सुरक्षित निवेश (सेफ-हेवन) की ओर रुख किया है। इसकी वजह से 10-वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की यील्ड छह महीने के निचले स्तर तक पहुंच गई। हालांकि, दोपहर के बाद यह थोड़ी सुधरी और 3.98% पर आ गई।

इस गिरावट का असर अमेरिकी बैंक शेयरों पर भी पड़ा। ब्याज दरों में कटौती की संभावना और टैरिफ (शुल्क) से आर्थिक ग्रोथ पर असर पड़ने की आशंका ने बैंकिंग सेक्टर की कमाई पर दबाव बढ़ा दिया। नतीजतन, S&P बैंक इंडेक्स में 6.6% की गिरावट दर्ज की गई।

S&P के सभी 11 सेक्टरों में 2.8% से ज्यादा गिरावट देखने को मिली। लगातार दूसरे दिन एनर्जी सेक्टर सबसे ज्यादा नुकसान में रहा, जो 7.9% लुढ़क गया, क्योंकि अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमतों में 7.2% की गिरावट दर्ज की गई।

अमेरिका में लिस्टेड चीनी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई। JD.com, अलीबाबा और बैदू के शेयरों में 9% से ज्यादा की गिरावट देखी गई।
चीन से जुड़े कारोबार वाली दूसरी कंपनियों के शेयर भी टूटे। Apple के शेयर 6.4% गिर गए।

चिपमेकर्स सेक्टर पर भी गहरा असर पड़ा। इसका इंडेक्स 7.3% टूट गया, जबकि पिछले दिन इसमें पहले ही 9.9% की गिरावट आई थी। यह सेक्टर अमेरिका और चीन, दोनों के टैरिफ से प्रभावित हो सकता है क्योंकि अधिकतर चिप कंपनियां डिज़ाइन अमेरिका में करती हैं, लेकिन निर्माण चीन में होता है। ऐसे में इन पर दोहरी टैक्स मार पड़ सकती है।