भारतीय किसान संघ का प्रदेशव्यापी आन्दोलन 21 से

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भरतीय किसान संघ की पत्रकार वार्ता।

कोटा। भारतीय किसान संघ का प्रदेशव्यापी आन्दोलन 21 जुलाई से शुरू होगा। जिसके तहत प्रदेश के सभी जिला केंद्रों पर प्रदर्शन होंगे। इसके बाद तहसील केंद्र पर प्रदर्शन किए जाएंगे। इसके बाद भी सरकार नहीं चेती तो अगस्त में संभाग केन्द्रों पर महापड़ाव डाला जाएगा। भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री कैलाश गैंदोलिया ने पत्रकारों को बताया कि अब तक कोविड.19 के कारण मर्यादित तरीके से आंदोलन किया जा रहा था। जिसे सरकार ने किसानों की कमजोरी समझा।

अब सरकार को कुम्भकर्णी नींद से जगाने के लिए 21 जुलाई को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना. प्रदर्शन से प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस दौरान जुटने वाले किसानों के कारण से किसी भी प्रकार से कानून व्यवस्था बिगड़ने सहित अन्य परिस्थिति के लिए राज्य प्रशासन व सरकार ही जिम्मेदार होगी।

प्रांत महामंत्री जगदीश कलमंड ने बताया कि प्रदेश में गत खरीफ सीजन से ही फसल कटाई के समय ओलावृष्टि, टिड्डी हमलों व रबी सीजन में ओलावृष्टि, पाला गिरने व टिड्डी हमलों से किसानों की फसलों खराब होने से बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। अव्यवस्था व राज्य सरकार की लापरवाही के कारण खरीफ सीजन 2019 में समर्थन मूल्य पर मूंग की मात्र 10 प्रतिशत व मूंगफली की 15 प्रतिशत खरीद हो पाई थी है। इसी दौरान ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में सरकार ने 50 प्रतिशत से अधिक कटौती कर ओवर ड्यूज, नेशनल शेयर धारकों के ऋण पर रोक कर विभिन्न शर्तें लगाकर ऋण बंद कर दिया जिससे किसान साहूकारों से ऊंची ब्याज पर ऋण लेने को मजबूर हैं।

प्रदेश सहकारिता विषय प्रमुख शिवराज पुरी ने बताया कि किसान विरोधी निर्णय करते हुए विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपये का अनुदान बंद कर दिया गया। जिससे प्रदेश के 14 लाख किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक भार बढ़ गया है। इन सभी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे किसान सहकारी ऋण विसंगतियों को दूर करने, फसल खराबे का मुआवजा देने, विद्युत बिलों में अनुदान वापस शुरू करके विद्युत बिलों की पेलेंटिया खत्म करने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में विभिन्न माध्यमों से ज्ञापन सौंप कर सरकार को लगातार अवगत करवाते रहे हैं। जिन्हें सरकार ने नहीं मानकर किसानों के हितों पर कुठाराघात किया है।

टिड्डी हमलों से 3 लाख हैक्टेयर से ज्यादा की फसलें चौपट
संभाग मीडिया प्रभारी आशीष मेहता ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण सप्लाई चैन टूटने से जल्दी खराब होने वाली फसलों के बिकने के अभाव में खराब होने व रबी सीजन की जीरा, सरसों, धनिया, गेंहू, चना, प्याज, लहसुन की कीमतों में भारी गिरावट व समर्थन मूल्य पर खरीद की मात्र औपचारिकता ने कोढ़ में खाज का काम किया है। प्रदेश में मई 2019 से लगातार हो रहे टिड्डी हमलों ने प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में 3 लाख हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फसलों को चट कर लिया। जिससे किसानों को 1100 करोड़ से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ जिसका कोई मुआवजा नही दिया गया और न ही टिड्डी नियंत्रण के कोई प्रभावी कदम उठाए गए।

सरकार का असंवेदनशील रवैया
जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी तथा जिला प्रचार प्रमुख रूपनारायण यादव ने कहा कि किसानों पर अनवरत आ रहे संकटों के बावजूद राजस्थान सरकार का किसानों के प्रति असंवेदनशील रवैया बरकरार रहा है। जिससे मजबूर होकर किसानों ने कोविड.19 को गाइडलाइन व इस महामारी में देश व किसानों के प्रति संगठन के नैतिक दायित्व को समझते हुए मर्यादित तरीके से किसानों की समस्याओं पर प्रदेश भर के संभाग मुख्यालयों, जिला कलेक्टरों, तहसील, उपखंड अधिकारियों के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेज किसानों की पीड़ा से अवगत करवाने का प्रयास किया। वही विभिन्न विद्युत समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर 25 मई को कृषि विद्युत बिलों का बहिष्कार करते हुए प्रदेश के 3311 विद्युत सबस्टेशनों पर प्रदर्शन कर 1150 से ज्यादा स्थानों से ऊर्जा मंत्री को ज्ञापन भी भेजे गए।

समर्थन मूल्य पर चने की खरीद नहीं
नगर अध्यक्ष महावीर नागर ने बताया कि 22 जून को प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा अजिताभ शर्मा के बुलावे पर संगठन प्रतिनिधियों ने उनसे मिल कर विद्युत समस्याओं से अवगत करवाया था। जिस पर समस्याओं का सकारात्मक हल निकालने का आश्वासन दिया गया था। इस संबंध में सरकार को फिर से 8 जुलाई को ईमेल के माध्यम से स्मरण पत्र भी भेजा था लेकिन अभी तक किसानों की मांगों पर सरकार ने कोई निर्णय नही किया है। पंजीयन के बावजूद चने की फसल की समर्थन मूल्य पर खरीद रोक कर किसान विरोधी निर्णय जारी रखने के संकेत दिए हैं।

किसानों की ये है प्रमुख मांगे

  • आगामी 6 माह के किसानों के कृषि व घरेलु विद्युत बिल माफ किए जाएं।
  • पूर्व में जारी योजना अनुसार कृषि विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपये प्रतिमाह का बकाया विद्युत अनुदान एक मुश्त विद्युत बिलों में समायोजित किया जा
  • किसानों की कोई निश्चित मासिक आय न होने व विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण समय पर बिल भुगतान नही कर पाने पर 2017 से पेलेन्टी माफी योजना चल रही थी जिसे अप्रैल 2019 में खत्म कर दिया गया, जिसे वापसः शुरू किया कर विद्युत बिलों में लगने वाला एलपीएस खत्म किया जाए।
  • खरीफ सीजन की फसल आने 31 अक्टूबर तक पूर्व बकाया बिलों की वसूली बंद कर कृषि कनेक्शन काटने पर रोक लगाई जाए व जले हुए ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए बकाया भुगतान की शर्त हटाई जाए।
  • विभिन्न तत्काल प्राथमिकता वाले कृषि विद्युत कनेक्शनों के आवेदनों के मांग पत्र जारी करने पर लगाई रोक हटाई जाए।
  • गत दो बजट में सामान्य श्रेणी कनेक्शनों की कटऑफ दिनांक नही बढ़ी है। ऐसे में, वर्षों से कृषि कनेक्शन का इंतजार कर रहे किसानों को राहत देने व प्रवासी नागरिकों को रोजगार की आवश्यकता के मध्यनजर मार्च 2012 से लंबित सामान्य श्रेणी के कृषि कनेक्शनों के मांग पत्र जारी कर कृषि कनेक्शन दिए जाएं।
  • विभिन्न पुनर्भुगतान योजनाओं में किसानों का डिस्काॅमो में बकाया ब्याज सहित विद्युत बिलों में समायोजित किया जाए।
  • एक वर्ष पुरानी ऑडिट की राशि विद्युत बिल में नहीं जोड़ी