नई दिल्ली। कोविड-19 (Covid-19) महामारी की वजह से पूरी तरह डगमगा चुकी देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए मोदी सरकार ने 20.97 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस पैकेज का ब्रेकअप भी दे चुकी हैं। हालांकि, इस बीच रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि देश को संकट से उबारने में ये पैकेज सक्षम नहीं है।
फिच ने ये भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का सिर्फ एक फीसदी ही है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड से निपटने के लिए 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज की घोषणा की थी। वहीं, सरकार का कहना है कि ये देश की जीडीपी का 10 फीसदी है।
वित्त मंत्री ने 5 बार में पैकेज का ब्रेकअप किया
यूके की एजेंसी फिच सॉल्युशंस ने कहा, “कोरोना राहत पैकेज की करीब आधी राशि राजकोषीय कदमों से जुड़ी है। इसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी थी। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक राहत वाली घोषणाओं के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले अनुमान को भी जोड़ लिया गया।” बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपए पैकेज का 5 प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ब्रेकअप दिया था।
लॉकडाउन से बढ़ रहा अर्थव्यवस्था का संकट
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक भारत की आर्थिक वृद्धि दर साल 2020-21 में 1.8 फीसदी रहने का अनुमान है। फिच के मुताबिक कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से भारत की अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ रहा है। साथ ही, घरेलू और वैश्विक दोनों मांग कमजोर हो रही हैं। एजेंसी के मुताबिक सरकार के राहत पैकेज में जितनी देरी होगी, अर्थव्यवस्था के गिरने का खतरा उतना बढ़ जाएगा।
एजेंसी ने ये भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को कोरोना के संकट से उबारने के लिए सरकार को और अधिक रकम खर्च करने की जरूरत है, लेकिन इससे राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक 13 से 17 मई के बीच की गई घोषणाओं में मोदी सरकार ने ऋण गारंटी, ऋण चुकाने की अवधि में विस्तार आदि के साथ नियामकीय सुधार किए हैं।