कोटा। गीता सत्संग आश्रम समिति के शिव भक्त परिवार की ओर से गीता भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन गुरुवार को कथा वाचक शिव कृष्ण शास्त्री ने कृष्ण बाल लीलाओं व गोर्वधन पूजा का वृतांत सुन भावुक भक्त हो गए। इस दौरान गिरिराज धरण की आकर्षक झांकी भी सजाई गई।
शास्त्री ने कृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए पूतना वध के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पूतना वासना का स्वरूप है। जीवात्मा परमात्मा के बीच है। यदि कोई बंधन का खास है तो वह वासना है। इसलिए भगवान ने लीला प्रारम्भ करने से पहले वासना (ईर्ष्या ) को समाप्त किया।
भगवान ने अमीरी गरीबी का भेदभाव मिटाते हुए बाल सखाओं के साथ क्रीड़ा की और उनके साथ भोजन भी करते थे। उन्होंने बताया कि भगवान ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया।
उन्होंने गोर्वधन पूजा का वर्णन करते हुए बताया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। इस दौरान गिरिराजधरण की आकर्षक झांकी भी सजाई गई और छप्पन भोग लगाया गया।
इस दौरान मैं तो गोर्वधन को जाऊ में री वीर, ना ही मान मेरा मनवा… जैसे भजनों पर श्रद्धालु भाव विभोर होकर नाचते रहे। अंत में राजेन्द्र खण्डेलवाल, कुंती मूंदड़ा, नरेन्द्र जैन दमदमा वाले, जगदीश अग्रवाल, अजय गोयल, चिराग भोला, रमेश मेहबूबानी, प्रमोद अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल व रामचन्द्र माथुर सहित गणमान्य लोगों ने भागवत की महाआरती की प्रसाद वितरण किया गया।