भगवान से निष्ठापूर्वक संबंध जोड़ा जाए तो वे संबंध निभाने जरूर आते हैं

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गीता भवन में तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो में मृदुभाषी बाल संत तितिक्षा दाधीच

कोटा। गीता सत्संग आश्रम समिति के शिव भक्त परिवार की ओर से गीता भवन में तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो में मृदुभाषी बाल संत तितिक्षा दाधीच ने नरसी मेहता की भक्ति, साधना और श्रीकृष्ण की कृपा का वृतांत सुनाया।

उन्होंने कहा कि भगवान से संबंध निष्ठापूर्वक जोड़ा जाए तो भगवान संबंध निभाने जरूर आते हैं। दाधीच ने कहा कि भक्त नरसी मेहता ने नानी नानी बाई की पत्रिका भगवान के चरणों डाल दी और कहा द्धारकाधीश मायरे का पत्र आया है। अब तुम जानों, तुम्हारा काम जाने। भक्त ने भगवान से ऐसा संबंध बनाया कि 56 करोड़ का मायरा जा भरा।

उन्होंने बताया कि आंख को हरि दर्शन के लिए, कान को ज्ञान प्राप्ति के लिए, हाथों को दान के लिए ईश्वर ने बनाया है। अत: सभी भक्तजन इसका लाभ उठाकर जीवन सार्थक करें। उन्होंने बताया कि नरसी का बाहर का भाव था कि ठाकुर आएंगे तो मायरा भर जाएगा और अंदर का भाव था कि इस बहाने मुझे ठाकुर के दर्शन हो जाएंगे।

उन्होंने बताया कि नरसी के पास पिता के श्राद्धके लिए धन नहीं था। इस पर वह नगर में सेठों के पास उधार अन्न, धन मांगने गया तो किसी भी सेठ ने उसकी मदद नहीं की। मदद नहीं मिलने पर वह जैसे ही वापस लौटने लगा तो एक सेठ (भगवान) ने उन्हें आवाज देकर बुलाया और कहा कि आपको श्राद्ध के लिए जितना सामान चाहिए ले जाना, लेकिन इसके बदले में क्या दोगे।

इस पर नरसी ने कहा कि मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। मैं तो भजन करता हूं। इस पर सेठ ने कहा मुझे भजन सुना दो में तुन्हें सामान दे दूंगा जितना चाहे उतना ले जाना। नरसी को भजन सुनाते-सुनाते शाम हो गई। इधर, भगवान नरसी केघर पर नरसी के रूप में सात गांवों के पंडितों को भरपूर भोजन कराया।

जब शाम हो गई तो नरसी ने सेठ से कहा कि मुझे सामान दे दो तो सेठ ने कहा कि शाम को में उधार नहीं देता। नरसी उदास होकर घर लौटा। जब पत्नी ने पूरा वृंतात सुना तो नरसी सावरियां सेठ की महिमा गाने लगे।

अंत में मार्मिक वृतांत ‘नानी बाई रो मायरा, भाया जस लो जी..’ सुनाकर उन्होंने सबको भावुक कर दिया। कथा बीच-बीच में दाधीच ने एक दिन वो भोला भण्डारी बनकर के बृजनगरी गोकुल में आ गए… जैसे भजनों पर भक्त नाचते रहे। अंत में शिव भक्ति परिवार की ओर से आरती की गई।