बिना राशन कार्ड 8 करोड़ प्रवासियों को 15 दिन में बांटें मुफ्त राशन, केंद्र के निर्देश

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नई दिल्ली। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने शनिवार को राज्यों को निर्देश दिया कि वे तत्काल गोदामों से अनाज और चना उठाएं और 8 करोड़ ऐसे प्रवासियों को 15 दिनों के अंदर मुफ्त राशन बांटें, जिनके पास न तो केंद्र का राशन कार्ड है और न ही राज्य का राशन कार्ड है। गौरतलब है कि कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण लाखों लोग शहर से लंबी दूरी तय करते हुए पैदल ही अपने-अपने गांवों की ओर नकल पड़े हैं। ऐसे प्रवासियों के सामने खाने-पीने का घनघोर संकट पैदा हो गया है।

खाद्य मंत्रालय के मुताबिक सरकार के इस कदम से उत्तर प्रदेश में करीब 142 लाख प्रवासियों को लाभ मिलेगा। इसी तरह से बिहार में 86.45 लाख, महाराष्ट्र में 70 लाख, पश्चिम बंगाल में 60.1 लाख, मध्य प्रदेश में 54.64 लाख, राजस्थान में 44.66 लाख, कर्नाटक में 40.19 लाख, गुजरात में 38.25 लाख, तमिलनाडु में 35.73 लाख, झारखंड में 26.37 लाख, आंध्र प्रदेश में 26.82 लाख और असम में 25.15 लाख प्रवासी लाभान्वित होंगे। राष्ट्र्रीय राजधानी में 7.27 लाख प्रवासियों को लाभ मिल सकेगा। सरकार की इस योजना के तहत मई और जून में प्रवासियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो अनाज और प्रति परिवार एक किलो चना मुफ्त दिया जाएगा।

राज्यों की जिम्मेदारी पर मिल सकेगा लाभ
पासवान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कहा कि यदि प्रवासियों की संख्या मौजूदा अनुमानित 8 करोड़ से ज्यादा होगी, तो केंद्र सरकार अतिरिक्त अनाज मुफ्त देने के लिए तैयार है, लेकिन ऐसे लोग वाजिब होने चाहिएं। राज्य सरकारों को उनका सत्यापन करना होगा। अभी राष्ट्र्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत लाभार्थियों की संख्या 81 करोड़ है। बिना कार्ड वाले प्रवासियों की संख्या इसका 10 फीसदी (करीब 8 करोड़) होने का अनुमान लगाते हुए केंद्र ने अनाज व चना का आवंटन किया है।

मुफ्त अनाज देने की घोषणा
केंद्र सरकार ने 14 मई को घोषणा की थी कि मई और जून में 8 करोड़ प्रवासियों को मुफ्त अनाज का वितरण किया जाएगा। इस पर केंद्र सरकार को 3,500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। योजना के तहत केंद्र सरकर ने दो महीने तक मुफ्त वितरण के लिए 7.99 लाख टन अनाज का आवंटन किया है। इसके अंतर्गत 6.95 लाख टन चावल का और 1.04 लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया है। चावल का अधिक आवंटन इसलिए किया गया है, क्योंकि चावल को पकाकर खाना गेहूं की तुलना में आसान है।